प्रधानमंत्री ने लिया महाराष्ट्र व तमिलनाडु में कोरोना हाल का जायजा

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को महाराष्ट्र व तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण उत्पन्न हालात का जायजा लिया। इस क्रम में उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व तमिलनाडु के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से फोन पर बात की। पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री देश के विभिन्न राज्य के मुख्यमंत्रियों से फोन के जरिए संपर्क साध रहे हैं और संक्रमण के हालात का जायजा ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कोविड केयर सेन्टर का किया निरीक्षण

महाराष्ट्र की तारीफ

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने फोन पर कहा कि महामारी की दूसरी लहर का सामना महाराष्ट्र ने बेहतरीन तरीके से किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से सहायता की मांग करते हुए आग्रह किया कि वे महाराष्ट्र को ऑक्सीजन व अन्य जरूरी मदद दें। देश के सर्वाधिक संक्रमित राज्यों में शामिल महाराष्ट्र में महामारी की दूसरी लहर के कारण हालात खराब है। हालांकि अब मुंबई समेत कई अन्य शहरों में स्थिति बहाल होने लगी है। राज्य में बीते 24 घंटों के दौरान 54 हजार से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं।

तमिलनाडु में दस दिनों का लॉकडाउन

दूसरी ओर तमिलनाडु में संक्रमण 10 मई से 24 मई तक के लिए लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस फैसले का ऐलान करते हुए बताया कि अनिवार्य गतिविधियों के लिए अनुमति रहेगी। 10 मई युबह 4 बजे ये लॉकडाउन प्रभावी होगा और 24 मई सुबह 4 बजे खत्म हो जाएगा। लोगों की सुविणा के लिए शनिवार, 8 मई और रविवार, 9 मई को दुकानें सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई है। सभी दुकानों को लॉकडाउन के दौरान सुबह 6 बजे से दोपहर तक खोलने की अनुमति होगी।

सुप्रीम कोर्ट में भी BMC के प्रबंधन की हुई प्रशंसा

मुंबई में ऑक्सीजन आपूर्ति प्रबंधन पर BMC की तारीफ सुप्रीम कोर्ट में भी की गई। एक ओर जहां देश भर में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की मारामारी हो रही है वहीं बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने मुंबई में कोरोना मरीजों के लिए जिस प्रकार से ऑक्सीजन का प्रबंधन किया है, उसकी तारीफ सुप्रीम कोर्ट ने भी की। दरअसल, देश में चल रही ऑक्सीजन की किल्लत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बताया कि 92,000 मरीजों का आंकड़ा पार कर चुका अत्यंत घनी आबादी वाला महानगर मुंबई सिर्फ 235 टन आक्सीजन के सहारे अपने मरीजों की देखभाल कर रहा है, तो न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ एवं एमआर शाह की पीठ ने सवाल उठाया कि दिल्ली को 700 टन आक्सीजन की जरूरत क्यों पड़ रही है और उन्होंने दिल्ली सरकार को बीएमसी से सीखने की भी सलाह दी।

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