उत्तराखण्ड में अब सरकारी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन देना होगा,अगर कोई कर्मचारी ब्यौरा नही देता है तो उसके खिलाफ जांच की जायेगी और सख्त एक्शन लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज सचिवालय में अधिकारियों की मीटिंग के बाद यह फैसला लिया और कहा कि जब जनप्रतिनिधि अपने संपत्ति का ब्यौरा दे रहे हैं तो कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने में क्या दिक्कत आ रही है। कर्मचारियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना चाहिए जिससे कि पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ट्रैप और जांच सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। इसके लिए टैपिंग सिस्टम में लापरवाही करने वाले अफसरों की जिम्मेदारी को तय किया जाए और उन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ये साफ कर दिया कि शासन स्तर के अहम मामलों पर गोपनीय की जगह खुली जांच और सीधे एफ आई आर की कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा इंटेलिजेंस कलेक्शन और संदिग्ध केस में निदेशक को अपने स्तर पर आरोपी के घर और अन्य स्थानों पर रेड करने की अनुमति होगी। विभागीय जांच के मामले को लेकर कई सालों तक केस नहीं लटकाये जाएंगे अगर ऐसा होता है तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।1 साल के अंदर ही विजिलेंस को जांच करने की अनुमति दी जाये।