रेस्क्यू सेंटर में बंदरो की मौत, मौत का जिम्मेदार कौन

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अल्मोड़ा। अल्मोडा वन विभाग के एनटीडी स्थित रेस्क्यू सेन्टर में नगर क्षेत्र से पकड कर लाए गए बन्दरों में से कई बन्दरों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। मामला उजागर न हो पाये इसके लिए विभाग ने आनन फानन में बिना पोस्टमार्टम के मृत बन्दरों को रैस्क्यू सेन्टर के परिसर में ही दफना दिया। मामला उजागर होते ही वन विभाग में हडकंप मचा हुआ है। वहीं पशु प्रेमी बंदरों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे है।
ज्ञात हो कि विगत दिनों लोगों की मांग पर नगर में बन्दरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नगर पालिका ने बंदर पकड़ने का अभियान चलाया हुआ था। दस दिनों तक मथुरा से आयी बंदर पकड़ने वाली टीम ने 100 से अधिक बंदर पकड़े। जिनमें से 65 बंदरों को वन विभाग को सौंपा। वहीं बाकी बंदरों को ज्रगल में छोड़ दिया। वन विभाग ने अपनी क्षमता के अनुसार 50 बंदरों को एनटीडी स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा। वहीं वन विभाग ने उनमें से भी 15 बंदरों को जंगल में छोड़ दिया था। बचे 35 बंदरों में से पांच बंदरों की पिजरें में मौत हो गई।

वन विभाग की लापरवाही बन्दरों की मौत का कारण

रेस्क्यू सेंटर में रखे गये बंदरों की मौत की जानकारी मिलते ही पशु प्रेमी कामिनी कश्यप रेस्क्यू सेंटर पहुंची। उन्होंने रेस्क्यू सेंटर में दफनाये गये बंदरों को निकालकर देखा और मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से करते हुए बंदरों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि वन विभाग की लापरवाही के कारण बंदरों की मौत हुई है। कहा कि नगर पालिका ने 64 बन्दर पकड कर वन विभाग को दिए थे। जिसमें से करीब 30 ही बन्दर वन विभाग के पास है। वन विभाग की लापरवाही के कारण कई बन्दरों की मौत हो गयी है। विभाग के पास जब बन्दरों की देख भाल की कोई व्यवस्था नही थी तो बन्दरों को क्यों कैंद करके रखा गया। जब बन्दरों को पकड लिया था तो बन्दरों का बंध्याकरण करने के तीन दिन बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाना चाहिए था।

डीएफओ ने की पांच बन्दरों की मौत की पुष्टि

वन विभाग के वनाधिकारी प्रवीण कुमार शर्मा ने रेस्क्यू सेंटर में रखे गये बंदरों में से पांच बंदरों की मौत की पुष्टि करते हुए उनकी मौत का कारण पकड़ने के समय बंदरों का घायल होना और उनमें भय व्याप्त होना बताया। उन्होंने कहा कि नगर पालिका ने बन्दर पकडों अभियान के दौरान 50 बन्दर पकड कर वन विभाग को दिए थे। जिनमें से वन विभाग ने 15 बन्दरों को जंगल में छोड दिया था। वहीं रेस्क्यू सेंटर में रखे गये 35 बन्दरों में से 5 की मौत हो गई है। वहीं उन्होंने कहा कि बंदरों का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाता है इसलिए उन्हें दफना दिया गया है।

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