हाईकोर्ट ने प्रदेश में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक से निजात दिलाने में सरकारी रवैये की हीलाहवाली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि आवारा कुत्ते इंसान से अधिक प्यारे नहीं हो सकते। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह आवारा कुत्तों की कहीं व्यवस्था करें, अन्यथा मुख्य सचिव जिम्मेदार होंगे। मुख्य सचिव को प्रत्येक जिले में डॉग सेल्टर हाउस बनाने के निर्देश देते हुए साफ किया है कि यदि किसी एनजीओ को इसमें आपत्ति है तो संबंधित संस्था इन कुत्तों को अपने साथ ले जा सकती है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को खूंखार कुत्तों को मारने के लिए नीति बनाने के आदेश पारित करते हुए कहा कि छह माह बाद कोई आवारा कुत्ता सड़क व गलियों में नजर नहीं आना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी निकाय घर-घर जाकर कुत्तों का सर्वे करें, जिनका लाइसेंस नहीं बना है उसे साथ ले आएं। ऐसे विज्ञापन समाचार पत्रों में प्रकाशित कर जनता को सूचना भी दी जाए।
गुरुवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्टड्ढ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष अधिवक्ता जीसी खोलिया की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव सभी निकायों को सूचित करें कि उनके यहां कितने कुत्ते पंजीकृत हैं। उनकी जांच घर-घर जाकर करनी होगी। जो कुत्ता पंजीकृत नहीं है, उसको आवारा समझकर कहीं अन्यत्र भेजें या किसी गैर सरकारी संगठन को दे दें, जो पालना चाहता है।
जिले में कुछ ही सालों में आवारा कुत्तों ने 11 हजार लोगों को बनाया निशाना
कोर्ट ने कहा है कि मुख्य सचिव के आदेश का अनुपालन नहीं करने वाले अधिकारी अवमानना के लिए उत्तरदायी होंगे। अगली सुनवाई 16 जुलाई नियत की है। तब तक मुख्य सचिव से अब तक की गई कार्रवाई पर व्यक्तिगत तौर पर जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं। अधिवक्ता जीसी खोलिया ने याचिका में कहा है कि नैनीताल जिले में कुछ ही सालों में आवारा कुत्तों ने 11 हजार लोगों को निशाना बनाते हुए जख्मी किया है।