कितनी बार झूठ बोले सीएम साहब ! फिर भी कर दिया बहाल, वाह त्रिवेंद्र सरकार वाह..

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कितनी बार झूठ बोले सीएम साबह ! फिर भी कर दिया बहाल, वाह त्रिवेंद्र सरकार वाह..
कितनी बार झूठ बोले सीएम साबह ! फिर भी कर दिया बहाल, वाह त्रिवेंद्र सरकार वाह..

देहरादून:(सुनिल राज) हर बात पर जीरो टोलरेंस की दुहाई देने वाली त्रिवेंद्र सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई। सवाल समान्य नहीं है जिस जीरो टोलरेंस को त्रिवेंद्र सरकार ने विपक्ष के सवालों पर बुलेटप्रूफ जैकेट की तरह पहना उसी जैकेट में बड़े-बड़े छेद दिखाई दे रहे हैं। दिखाई दे रहा है सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का वो झूठ जो उन्होंने एनएच-74 पर सीबीआई जांच के लिए कहा था। एक बार तो मेरे कुरेदने पर उन्होंने कह दिया था कि एनएच-74 की सीबीआई जांच होगी। जब सत्र चल रहा था उस वक्त विपक्ष के तीखे सवालों पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा के कक्ष संख्या 120 में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा था कि सीबीआई जांच की संस्तुति हो गई है और मसले पर सीबीआई ही होगी। कुछ समय बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का पत्र आया जो मीडिया में भी लिक हुआ। उसके बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीबीआई जांच वाली मांग कंठ से ऊपर नहीं आ पाई। प्रदेश सरकार की नौटंकी का सिलसिला फिर भी नहीं थमा और मामले की जांच के लिए एसआईटी गठीत कर दी। एसआईटी ने 7 पीसीएस और 2 आईएएस अधिकारियों को दोषी पाया। सरकार ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया। तब राज्यवासियों को लगा था कि त्रिवेंद्र सरकार भ्रष्चार के खिलाफ वाकई जीरो टोलरेंस की नीति पर चल रही है। पर अब लग रहा है कि ‘जीरो टोलरेंस’ सरकार के लिए झूठ से बचने का एक सहारा मात्र है। ये बात हम क्यों कर रहे हैं आगे पढ़े…

निलंबित अधिकारियों की हुई बहाली.

एनएच-74 मुआवजा घोटाले में निलंबित पांच पीसीएस अधिकारियों को पहले तो बहाल किया अब कार्मिक विभाग ने नई तैनाती दे दी। एनएच-74 के चौड़ीकरण के दौरान अधिगृहीत भूमि का मुआवजे बांटने में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में सभी अधिकारी न सिर्फ निलंबित हुए थे, बल्कि जेल भी गए थे। इस बहुचर्चित घोटाले में नाम सामने आने के बाद एसडीएम डीपी सिंह, भगत सिंह फोनिया, तीरथपाल सिंह, नंदन सिंह नगन्याल और अनिल शुक्ला को सस्पेंड कर दिया था, मगर पिछले महीने ही इनकी बहाली भी हो गई और इन सभी पीसीएस अफसरों को उत्तराखंड राजस्व परिषद से अटैच भी कर दिया गया था। बीते रोज कार्मिक विभाग से जारी आदेश के अनुसार एसडीएम दिनेश प्रताप सिंह को एसडीएम रूद्रप्रयाग, तीरथपाल को एसडीएम उत्तरकाशी, भगत सिंह फोनिया को एसडीएम पिथौरागढ़, नंदन सिंह नगन्याल को एसडीएम रूद्रप्रयाग, अनिल शुक्ला को बतौर एसडीएम पिथौरागढ़ भेजा गया। पूर्व में घोटाले में नामजद दो पीसीएस अधिकारियों को जांच के बाद कार्रवाई के दायरे से बाहर कर बहाल कर दिया गया है। बता दें कि इसी प्रकरण में दो आईएएस अफसरों पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव को भी सस्पेंड किया गया था। उनको भी बहाल कर दिया गया।

कांग्रेस बनाएगी मुद्दा
फोन पर हुई बात चीत में प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने कहा सरकार के जीरो टोलरेंस का नमूना सामने आ गया है। जोशी ने सवाल उठाया कि जब बहाल करना ही था तो निलंबित क्यों किए, उन्होंन कहा कि सीएम किसे बचाना चाहते हैं। जोशी ने बात चीत में आगे कहा कि कांग्रेस इसे मुद्दा बनाएगी और सदन से लेकर सड़क तक उठाएगी…

निलंबन के बाद बहाली क्यों ?
साल 2017 में जब इस मसले पर सीएम त्रिवेंद्र अपनी पीठ थपथपा रहे थे तब एक दिन मेरे द्वारा कुरेदने पर सीबीआई जांच की बात कही, यही नहीं दो और बार भी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीबीआई जांच की बात मीडिया में आकर कही। सवाल ये है कि जब सीबीआई जांच करानी ही नहीं थी तो फिर झूठ क्यो बोला गया ? जब एसआईटी ने जांच कर अधिकारियो दोषियों को पाया और सरकार !आपने निलंबित कर जेल भी भेजा तो बहाली क्यों की ? या राज्य में कोई बड़ा खेल चल रहा है ? जिसे जनता समझ नहीं पा रही है। बहरहाल अधिकारियों की बहाली तो हो गई पर उस जीरो टोलरेंस का क्या जिसकी दुहाई आप अपने हर भाषण में दते हैं..