भगत दा ने राहुल गांधी पर कसा तंज, कहा- इस नेता को बनाएं कांग्रेस अध्यक्ष

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भगत दा ने राहुल गांधी पर कसा तंज, कहा- इस नेता को बनाएं कांग्रेस अध्यक्ष
भगत दा ने राहुल गांधी पर कसा तंज

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के बड़े नेताओं में सुमार भगत दा ने अपने फेसबुक पोस्ट से कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों को ही चौंका दिया है। बीते लोकसभा चुनाव में हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले भगत सिंह कोश्यारी ने फेसबुक पोस्ट पर हरीश रावत को कांग्रेस अध्यक्ष बनने की वकालत की।

भगत दा अपने फेसबुक पर लिखते हैं….

प्रिय Rahul Gandhi जी,
आपने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा की । बधाई। मोदी – शाह के 303 “थ्री नाट थ्री“ से आप इतने डर गए हैं कि मैदान छोड़कर भागने का संकल्प ले बैठे। आप अब अध्यक्ष पद छोड़े या ना छोड़े आपका और आपकी पार्टी का मामला है, पर चूँकि इन दस वर्षों में सेंट्रल हॉल में मेरी काली टोपी आपको बड़ी खलती थी इसलिए मेरा भी एक सुझाव है कि नौ-नौ बार चुनाव हारने के बाद भी हमारे श्री Harish Rawat जी ( जो आपके राष्ट्रीय महासचिव भी हैं ) मैदान में फिर डट जाते हैं और अगले चुनाव की तैयारी करने लगते हैं । अच्छा हो आप अबकी बार “पहाड़” के पहाड़ जैसे अडिग रहने वाले हरीश रावत को ही अपनी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दें। कम से कम आपकी तरह वह टी.वी चैनलों में हार का ठीकरा फोड़ कांग्रेस प्रवक्ताओं को टीवी से दूर नहीं रखेंगे।

भगत दा ने राहुल गांधी पर कसा तंज, कहा- इस नेता को बनाएं कांग्रेस अध्यक्ष

भगत दा की इस फेसबुक पोस्ट के बाद हरदा ने भी फेसबुक पर मोर्चा संभालते हुए लिखा….
आदरणीय Bhagat Singh Koshyari जी एक प्यारी सी कहावत है “गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में”… आशा है कि आप आगे का वाक्यांश खुद पूरा कर लेंगे। रहा सवाल Rahul Gandhi जी का, उन्होंने साफ ऐलान कर दिया है कि जनता के हित के लिये, और लोकतंत्र की रक्षा के लिये Indian National Congress इंच दर इंच लड़ाई लड़ेगी। समय फैसला करेगा कौन डरा है, कौन रणछोड़ दास है।

दूसरी पोस्ट में हरीश रावत लिखते हैं…
Bhagat Singh Koshyari जी खूब काली टोपी पहनिये मगर याद रखिये गांधी जी ने जब “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नारा दिया था, कुछ अर्ध सांस्कृतिक, राजनैतिक संगठनों ने उसके विरोध में काली टोपी पहनी थी। हमारी उत्तराखंडी टोपी डार्क ब्लू ब्लैक सर्ज की टोपी होती है। जिस कपड़े की टोपी आप पहनते हैं, उस कपड़े का उपयोग #उत्तराखंड में टोपी के लिये नहीं होता है। आप की टोपी तो 1942 के उस प्रतीकात्मक विरोध की रिप्लिका है।