मानीला महोत्सव में छाया उत्तराखंडी संस्कृति का रंग

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मानीला महोत्सव में पहाड़ की सास्कृतिक विरासत सजीव हो उठी। देवभूमि किरण कौशल को दर्शाती छलिया नर्तकों का दल गौरवशाली परंपरा का प्रतीक नगाड़ा निषाण लिए ग्रामीणों का हुजूम मैदान की ओर बढ़ा तो समूचा क्षेत्र उत्तराखंडी लोक रंग में रम गया। दो दिनी महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड क्त्राति दल के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी व विशिष्ट अतिथि विधायक सुरेंद्र सिंह जीना व शिक्षाविद यशोधर मठपाल ने संयुक्त रूप से किया।

उक्राद नेता ऐरी ने मेले व महोत्सवों को पर्वतीय राज्य की प्राचीन लोक परंपरा बताते हुए संस्कृति के संरक्षण के लिए युवाओं से आगे आने का आह्वान किया। विधायक जीना ने कहा, देवभूमि की संस्कृति वह परंपरा ही है जिसने हिमालयी राज्य को देश दुनिया में विशिष्ट स्थान दिया है। उन्होंने अपनी संस्कृति को धरोहर की भाति संजोए रखने का आह्वान किया। इस दौरान मानिला पत्रिका का विमोचन भी किया गया। महोत्सव दो दिन चलेगा।

नहीं पहुंच सके सीएम, मुख्य अतिथि बदला

महोत्सव में मुख्यमंत्री के न आने की सूचना पर आयोजकों ने रात में ही मुख्य अतिथि बदल दिए। विधायक सुरेंद्र जीना इस पर नाराज दिखे। अलबत्ता उन्होंने राइंका मानिला के जीर्ण शीर्ण भवनों का जीर्णोद्धार कराने की बात कही। उधर टिहरी में वाटर स्पोर्ट्स के शुभारंभ के मद्देनजर मुख्यमंत्री मानिला महोत्सव का बतौर मुख्य अतिथि महोत्सव का शुभारंभ करने नहीं पहुंच सके।

मानिला विकास समिति अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बंगारी, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह बंगारी सदस्य कमल सिंह बिष्ट, केएस बंगारी, जीएस गुसाईं, चारू तिवारी, कुंदन बिष्ट, महेश्वर मेहरा, देवीदत्त शर्मा, रमेश रावत, महेश उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

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