Om Prakash Chautala: पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को 4 साल की सजा

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नई दिल्ली। Om Prakash Chautala:  आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी ठहराए गए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की सजा पर दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट थोड़ी देर में फैसला सुनाएगी। पिछले दिनों ओम प्रकाश चौटाला को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में कोर्ट ने दोदोषी ठहराया था।

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बचाव पक्ष ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला 90 फीसद तक विकलांग हैं

इससे पहले बृहस्पतिवार को सजा पर बहस के दौरान बचाव व अभियोजन पक्ष ने अपनी अपनी दलीलें पेश की। बचाव पक्ष ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला 90 फीसद तक विकलांग हैं। वह अपने कपड़े भी खुद नहीं पहन पाते हैं। ऐसे में उन्हे जेल में रखना ठीक नहीं है।

वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा कि उम्र सजा तय करने का आधार नहीं है। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से कानून के आधार पर सजा तय करने की अपील की। कोर्ट ने दोनों पक्षों को अंतिम जिरह के लिए शुक्रवार दोपहर दो बजे का वक्त तय किया है। कोर्ट जिरह के बाद फैसला सुना सकता है।

21 मई को 6.09 करोड़ रुपये की संपत्ति से जुड़े मामले में चौटाला को दोषी करार दिया

एमपी-एमएलए की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश विकास ढल आज दस बजे सजा पर दोनों पक्षों की अंतिम दलील सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाएंगे। अदालत ने 21 मई को 6.09 करोड़ रुपये की संपत्ति से जुड़े मामले में चौटाला को दोषी करार दिया था। बृहस्पतिवार के दिन सजा पर बहस के दौरान चौटाला के वकील ने कोर्ट को बताया कि चौटाला 1993-2006 के दौरान आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के दोषी ठहराए गए हैं।

यह व़क्त 20 साल से भी ज्यादा का है उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया। जेल में रहने के दौरान भी उनका व्यवहार अच्छा रहा। चौटाला (Om Prakash Chautala) ने जेल में ही 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। चौटाला को सिर्फ आय का स्त्रोत न बता पाने के लिए दोषी पाया गया है। ऐसे में यह सब बातें ध्यान में रखकर उन्हे सजा में रियायत दी जानी चाहिए।

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अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश अधिवक्ता अजय गुप्ता ने चौटाला की तरफ से पेश दलीलों का विरोध किया। उन्होने कहा कि स्वास्थ का हवाला देकर सजा कम करने की मांग नहीं कर सकते, देश से भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कानून के मुताबिक सजा होनी चाहिए। चौटाला एक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। ऐसे में इस मामले में कम से कम सजा से आम लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा। चौटाला के परिवार के सभी सदस्य सक्षम हैं ऐसे में उन पर कोई भी आश्रित नहीं है।

गुप्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट को ऐसी सजा देनी चाहिए जिससे समाज में मिसाल दिया जा सके। चौटाला लीडर है इनके हर आदेश को लोग मानते हैं, अगर लीडर ही इस प्रकार के भ्रष्टाचार करेंगे तो समाज में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, कोर्ट को इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए।

यह है मामला

वर्ष 1993 और 2006 के बीच सात बार के विधायक रहे चौटाला ने आय से दोगुनी संपत्ति अर्जित की थी। इस मामले में साल 2006 में मुकदमा दर्ज किया गया था। हालांकि, बचाव पक्ष ने मामले को राजनीतिक दुर्भावना के तहत दर्ज केस के रूप में खारिज कर दिया था।वर्ष 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लां¨ड्रग एक्ट के तहत नई दिल्ली, पंचकुला और सिरसा में उनके फ्लैट और भूखंडों सहित 3.68 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी और मुकदमा दर्ज किया था।

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