आधार को सोशल मीडिया प्रोफाइल से लिंक कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

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नई दिल्‍ली,आधार को सोशल मीडिया प्रोफाइल से लिंक करने संबंधी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार से केंद्र सरकार से पूछा कि क्‍या सोशल मीडिया अकाउंट्स को रेग्युलेट करने के लिए आधार से जोड़ने कोई योजना है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 24 सितंबर तक का समय दिया है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि आधार के साथ सोशल मीडिया प्रोफाइल को जोड़ने के मामले को जल्‍द हल किया जाना चाहिए।

जस्टिस दीपक गुप्‍ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि

जस्टिस दीपक गुप्‍ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर हम नहीं जानते कि इस मामले को हम निर्धारित कर सकते हैं या हाईकोर्ट इस बारे में फैसला करेगा। अदालत ने कहा कि वह फेसबुक की ओर से दाखिल याचिका पर ही फैसला देगी। वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने अदालत से कहा कि सरकार को संबंधित मामलों को हाईकोर्टों से सर्वोच्‍च न्‍यायालय में लाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार

दरअसल, फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके मांग की है कि आधार को सोशल मीडिया प्रोफाइल से लिंक करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट, बॉम्बे हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में चल रहे मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्‍थानांतरित किया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, गूगल, ट्विटर, यूट्यूब और अन्य को नोटिस भेजकर 13 सितंबर तक उनका पक्ष मांगा था। अब जबकि केंद्र सरकार ने अपना जवाब दे दिया है कि संबंधित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में लाए जाने पर उन्‍हें कोई आपत्ति नहीं है।

ज्ञात हो कि तमिलनाडु सरकार ने सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक कराने संबंधी पहल की है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से जोड़ने पर फेक न्यूज, आपत्तिजनक और पोर्नोग्राफिक कंटेंट पोस्ट करने वालों की पहचान संभव हो पाएगी। राज्‍य सरकार का तर्क है कि ऐसा होने से सोशल मीडिया के जरिए राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों पर नकेल कसी जा सकेगी।

फेसबुक का कहना है कि

तमिलनाडु सरकार की इस पहल पर Facebook ने आपत्ति जतायी है। फेसबुक का कहना है कि 12 नंबर का आधार और बायोमीट्रिक सोशल मीडिया अकाउंट से लिंक करने पर यूजर्स की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी जो प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन होगा। फेसबुक का कहना है कि वह यूजर्स का आधार नंबर किसी थर्ड पार्टी के साथ शेयर नहीं कर सकते हैं।

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