देहरादून: (अर्पित भाटिया) आप लोगों ने वो कहावत तो सुनी ही होगी.. खिसियानी बिल्ली खंभा नौचे.. इस मुहावरे का एकलौता माइना यही समझा जा सकता है कि सफलता ना मिलने पर कोई व्यक्ति इधर-उधर की बातों पर दोष दें… जैसे छात्र की परीक्षा खराब जाती है तो वो टीचर को दोष देता है.. तो ऐसा ही कुछ हमारे देश की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है.. हाल ही में चुनाव खत्म हुए है.. लगभग सभी एग्जिट पोल में मोदी को दोबारा पीएम बनाने के कयास किए जा रहे है.. जिसके बाद समूचा विपक्ष अपनी असफलता का दोष ईवीएम के मत्थे डाल रहा है…
यह भी पढ़ें: इस दिन से कर पाएंगे सैलानी फूलों की घाटी का दीदार, अब जाने से पहले तय होगी पर्यटकों की संख्या
अभी तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनको आधार बनाते हुए विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर हमलावर हैं.. यूपी के गाज़ीपुर की बात करें तो सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अफजाल अंसारी ईवीएम बदलने की कोशिश का आरोप लगाते हुए अपने समर्थकों के साथ जंगीपुर में बनाए गए स्ट्रॉन्गरूम के बाहर धरने पर बैठ गए… जिसके बाद प्रशासन ने ईवीएम स्ट्रांग रूम की निगरानी में 5 लोगों को रहने की इजाज़त दे दी है.. यूपी के चंदौली में भी ईवीएम को लेकर गठबंधन समर्थक धरने पर बैठ गए.. आरोप है कि गाड़ी से लाई गई कुछ ईवीएम को काउंटिंग स्थल के एक अलग कमरे में रखा गया… तो बिहार में भी कुछ जगहों पर ईवीएम की ‘संदिग्ध आवाजाही’ का आरोप लगाया गया है.. लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि सभी मामलों को सुलझा लिया गया है, ये आरोप बेबुनियाद हैं..
यह भी पढ़ें:कार्यकर्ताओं से बोली प्रियंका गांधी, एग्जिट पोल पर ध्यान ना दें, मतगणना केंद्रों पर डटे रहें
इधर विपक्ष के कई बड़े नेता आंध्र-प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में चुनाव आयोग के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे है.. सभी नेताओ की मांग है कि 23 मई को होने वाली मतगणना में वीवीपैड की पर्चियों को भी शामिल किया जाए..अब देखना मुनासिब होगा की विपक्ष की ये हलचल को चुनाव आयोग द्वारा कितनी तूल मिलती है.. और इसका खामियाजा किसको भुगतना पड़ेगा