Delhi Air Pollution : राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली वासियों को सेहत से संबधित कई तरह की समस्यायों का सामना करना पढ़ सकता है। शनिवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का एक्यूआई ‘बहुत खराब स्तर’ में 400 के पार दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार अगले 15-20 दिनों तक यहां इसी तरह की स्थिति बनी रह सकती है, ऐसे में सभी लोगों को बचाव को लेकर उपाय करते रहने की आवश्यकता है।
CM Delhi Visit : सीएम धामी ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से की मुलाकात
इस बीच एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दिल्ली में साल-दर-साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली के कई हिस्सों में एक्यूआई 500 के आंकड़े को छू रही है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से करीब 100 गुना अधिक है। दिल्ली के साथ-साथ देश के कई अन्य राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी आशंका जताई गई है।
33 मिलियन लोग लोगों में स्वास्थ्य समस्याओं का गंभीर जोखिम
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दिल्ली पिछले कई वर्षों से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बनी हुई है, जिसका मतलब है कि लगभग 33 मिलियन लोग (3.3 करोड़) लोगों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का गंभीर जोखिम बना हुआ है। शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा संकलित इस वर्ष के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, दिल्ली के लोग जिस खराब गुणवत्ता वाली हवा में सांस लेते हैं, उसके कारण उनका जीवन करीब 11.9 वर्ष कम हो सकता है। साल-दर साल ये खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
दिल्ली में डॉक्टरों का कहना है, प्रदूषण बढ़ने के कारण (Delhi Air Pollution) इसके कई तरह के हानिकारक स्वास्थ्य जोखिम वाले लोगों के मामले भी बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि यहां सांस संबंधी समस्या वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। अधिकतर लोगों को खांसी, सर्दी,और आंखों में जलन-पानी आने और सांस लेने में समस्या हो रही है। इससे हर उम्र के लोग प्रभावित होते हैं।
कई बीमारियां हो सकती हैं ट्रिगर
दिल्ली के अपोलो अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं, जिन लोगों को पहले से ही श्वसन समस्याएं, हृदय रोग और इंफ्लामेटरी बीमारियां रही हैं उनमें प्रदूषण के कारण इनके ट्रिगर होने का भी खतरा हो सकता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर वायु प्रदूषण के गंभीर दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं। प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोगों में स्ट्रेस होने और गंभीर स्थितियों में अवसाद का जोखिम बढ़ने का भी खतरा हो सकता है।
विज्ञापन
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, प्रदूषण के जोखिमों से बचाव के लिए मास्क पहनना बहुत जरूरी है। ये हवा में मौजूद विषाक्तता को श्वसन तंत्र में प्रवेश करने से रोकती है। इसके अलावा शरीर के हाइड्रेशन का ध्यान रखें। इससे गले में खराश और श्वसन से संबंधित जटिलताओं के खतरे को कम किया जा सकता है। अस्थमा और सीओपीडी वाले लोगों के लिए बढ़ता प्रदूषण और भी समस्याकारक हो सकता है, इसलिए डॉक्टर के संपर्क में रहें और बचाव के लिए निरंतर उपाय करते रहें।
Chhattisgarh Election 2023 : अमित शाह ने घोषणापत्र ‘मोदी की गारंटी’ किया जारी