नई दिल्ली। Maharashtra Political Crisis सुप्रीम कोर्ट ने आज उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दायर विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुनाया। वहीं कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अभी इस मामले में कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगी, इसलिए इसे 7 जजों की बड़ी बेंच को सौंपा जा रहा है।आपको याद होगा कि पिछले साल एकनाथ शिंदे और उनके गुट के कुछ विधायकों ने उद्धव ठाकरे के साथ बगावत कर ली थी और उसके बाद उद्धव ठाकरे को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिर गई थी।
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शिंदे सरकार को SC से राहत
SC ने अपने फैसले में कहा कि तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था इसलिए एमवीए सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता है। साथ ही SC ने कहा कि सबसे बड़े दल भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाना राज्यपाल द्वारा उचित था।
उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो स्थिति कुछ और होती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वो उद्धव ठाकरे सरकार (Maharashtra Political Crisis) को वापिस बहाल नहीं किया जा सकता है। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो स्थिति कुछ और होती।
स्पीकर का फैसला अवैध
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था। कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
संविधान पीठ ने बीते 16 मार्च को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और नौ दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गई थीं। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के अंतिम दिन आश्चर्य व्यक्त किया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
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