प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस बढ़ोतरी को लेकर हो रहे विरोध के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सरकार का रुख साफ किया है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट निवेशक आ रहे हैं और पांच-सात सौ करोड़ रुपये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर खर्च कर रहे हैं। सरकार उन्हें कोई अनुदान नहीं देती है। अगर प्रदेश में ऐसे बच्चे या अभिभावक आते हैं जो निजी कॉलेजों में पढ़ाई का खर्च उठा सकते हैं तो निवेशकों को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।
प्रदेश सरकार ने हाल ही में हुए बजट सत्र में उत्तराखंड अनुदानित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) (संशोधन) विधेयक-2018 पारित किया है। इस संशोधित विधेयक में निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दिया गया है।
इससे पहले निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए फीस का निर्धारण हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के जिम्मे था। अब विधेयक के एक्ट का स्वरूप लेते ही निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस वृद्धि का रास्ता भी तकरीबन साफ हो गया है।
निजी मेडिकल कॉलेजों ने फीस वृद्धि की शुरू की कसरत
निजी मेडिकल कॉलेजों ने फीस वृद्धि की कसरत शुरू कर दी है। प्रदेश में इसका विरोध भी शुरू हो गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफगोई के साथ सरकार का पक्ष रक्षा। तार्किक ढंग से जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में ऐसे बच्चे या अभिभावक आते हैं जो खर्च कर सकते हैं तो उन्हें लगता है कि निजी मेडिकल कॉलेजों के क्षेत्रों में पूंजी निवेशकों को रोकना नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में तमाम निजी कालेज हैं और कई निवेशक निजी कॉलेज खोलने के लिए आवेदन कर रहे हैं। अगर हम इन्हें रोकते हैं तो राज्य का अहित होता है। प्रदेश में इस मसले पर चल रहे विरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विरोध हर चीज का होता है चाहे अच्छा किया जाए या बुरा। विरोध करना राज्य की परंपरा सी बन गई है।