प्रदेश में देहरादून सहित सात जनपदों के 35 अर्द्धनगरीय क्षेत्रों को अब पेयजल किल्लत से निजात मिल जाएगी। इन क्षेत्रों के लिए विश्व बैंक ने 975 करोड़ की योजनाओं के वित्त पोषण को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। इसमें विश्व बैंक का अंश 780 करोड़ और राज्यांश 195 करोड़ होगा। इनके परवान चढ़ने पर पांच लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी। अर्द्धनगरीय क्षेत्रों के लिए विश्व बैंक पोषित प्रस्तावों के मद्देनजर दिल्ली में केंद्र व राज्य सरकार और विश्व बैंक के मध्य वैधानिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।
पेयजल मंत्री प्रकाश पंत के अनुसार राज्य में 2018 से 2023 तक चलने वाले उक्त पेयजल कार्यक्रम से संबंधित अनुबंध पर पेयजल सचिव अरविंद ह्यांकी ने हस्ताक्षर किए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से विश्व बैंक को वित्त पोषण संबंधी प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर पिछले साल नवंबर में सहमति बनी। अब विश्व बैंक ने वित्त पोषण के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है।
उन्होंने बताया कि पेयजल कार्यक्रम में देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर और अल्मोड़ा जनपदों के 35 अर्द्धनगरीय क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाएगा। 2011 की जनगणना के आधार पर इन जनपदों के इन क्षेत्रों को एक अपै्रल 2016 की स्थिति के आधार पर चयनित किया गया।
100 से 135 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के हिसाब से पेयजल होगा उपलब्ध
पेयजल मंत्री के अनुसार उत्तराखंड ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता परियोजना के अंतर्गत चलाए जाने वाले इस कार्यक्रम के पूरा होने पर इन अर्द्धनगरीय क्षेत्रों की लगभग 5.16 लाख आबादी को 100 से 135 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के हिसाब से पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के लक्ष्य भी तय कर दिए गए हैं। इसके तहत मीटरयुक्त निजी जल संयोजनों की संख्या 1.3 लाख होगी, जबकि पेयजल एवं स्वच्छता मास्टर प्लान तैयार किए जाने वाले क्षेत्रों की संख्या तीन होगी।
पेयजल मंत्री के अनुसार उक्त परियोजना में राज्य सरकार को मिलने वाले ऋण की अदायगी केंद्र व राज्य सरकार द्वारा 90ः10 के आधार पर होगी। इस लिहाज से राज्य को केवल 10 प्रतिशत धनराशि ही लौटानी होगी।