नई दिल्ली/कीव Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) के बीच संयुक्त राष्ट्र की आम सभा की बैठक सोमवार को हो रही है। सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद यह संयुक्त राष्ट्र की ओर से जंग को रोकने की अहम पहल है। पूरी दुनिया की नजर इस पर टिकी है। दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष के बीच इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इसमें सबकी नजर भारत, चीन और यूएई पर टिकी है। इसकी बड़ी वजह यह है कि सुरक्षा परिषद में इन तीन मुल्कों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। ऐसे में एक बार फिर सबकी नजरें भारत पर टिकी है। उधर, यूक्रेनी राष्ट्रपति और भारत में यूक्रेनी राजदूत ने युद्ध विराम में सहयोग की अपील की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संयुक्त राष्ट्र आम सभा में भारत का क्या स्टैंड होता है।
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Russia Ukraine War update:
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारतीय विदेश नीति के लिए यह एक मुश्किल की घड़ी है। भारत के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर अपना रुख निर्धारित करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भारत दुनिया में किसी भी हाल में युद्ध के खिलाफ है। वह शांति का पुजारी है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए भारत द्विपक्षीय वार्ता का पक्षधर है। दूसरी और इस युद्ध में उसके सबसे पुराने दोस्त के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा रहा है। ऐसे में वह किस नीति पर कायम रहे यह फैसला लेना एक कठिन काम है।
2- संयुक्त राष्ट्र आम सभा की इस बैठक के पूर्व यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ अपने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। जर्मनी के विदेश मंत्री का भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से वार्ता को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। जर्मन विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दुनिया भर से रूस को लेकर एक आवाज आनी चाहिए, क्योंकि राष्ट्रपति पुतिन हमलावर हैं और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि रूस ने यूरोप की शांति भंग की है।
3- प्रो पंत ने कहा कि भारत भले ही अब तक रूस की आलोचना करने वाले प्रस्तावों पर हुई वोटिंग से बाहर रहा हो, लेकिन भारत ने आज रात जो स्पष्टीकरण दिया है, उससे यह प्रतीत होता है कि हाल के दिनों में यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई से भारत भी असहज है। उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ऐसे संकेत दिए है कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय नियमों, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता के साथ संप्रभुता पर टिकी है। हम सभी इस सिद्धांत से सहमत हैं। इससे यह संकेत जाता है कि भारत इस युद्ध से काफी असहज है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ऐसे में भारत का आम सभा की बैठक में क्या स्टैंड होता है।
रूस के खिलाफ यूरोपीय देशों का कूटनीति प्रयास तेज
उधर, संयुक्त राष्ट्र आम सभा में अमेरिका और यूरोपीय देश रूस के खिलाफ प्रस्ताव पास करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिख रहे हैं। यह सभा इसी लिए बुलाई गई है। अमेरिका और यूरोपीय देशों को यह उम्मीद है कि 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र आम सभा में बड़े बहुमत से रूस के खिलाफ प्रस्ताव पास होगा। आम सभा में रूस के खिलाफ 8979 पर 80 से ज्यादा देश पहले ही सहमत है। उधर, अमेरिका अन्य देशों को इस पर सहमत कराने में लगा है।
सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत वोटिंग से बाहर
25 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर भारत वोटिंग से बाहर रहा था। भारत के इस कदम की रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि भारत ने स्वतंत्र रुख अपनाया है। हालांकि, इस फैसले को लेकर अमेरिका ने एक सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी। भारत के इस फैसले का विरोध अमेरिका ने प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा की होने वाली बैठक में भारत ने अभी तक कुछ नहीं कहा है।
भारत समेत तीन मुल्क रूस के पक्ष में
इसके पूर्व शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर हुई वोटिंग से भारत, चीन और यूएई बाहर थे। इन तीन मुल्कों ने वोटिंग में रूस के खिलाफ मतदान किया था, जबकि 11 मुल्कों ने पक्ष में मतदान किया। यह वोटिंग प्रक्रियात्मक थी, इसलिए इसमें वीटो का प्रावधान नहीं था। ऐसे में बहुमत से आम सभा बुलाने का प्रस्ताव पास हो गया।
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