खटारा बसों को बेड़े से बाहर करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार आधी रात से कार्य बहिष्कार पर गए रोडवेज कर्मियों के चलते शुक्रवार सुबह से शाम तक करीब तीन सौ बसें बस अड्डों पर खड़ी रहीं। कर्मियों ने आइएसबीटी पर धरना-प्रदर्शन व नारेबाजी की। वहीं, दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम के साथ ही चंडीगढ़ आदि के लिए वाल्वो व एसी बसों का संचालन पूरी तरह प्रभावित रहा। देहरादून से दिल्ली, सहारनपुर, मेरठ आदि जाने वाली साधारण बसों की संख्या में भी कमी रही। देर शाम प्रबंधन से वार्ता सफल होने पर यूनियन का आंदोलन खत्म हुआ और शाम छह बजे से बस संचालन सुचारू कर दिया गया।
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दून मंडल में प्रस्तावित बेमियादी कार्य बहिष्कार पर कर्मचारियों ने पहले से छुट्टी लेना शुरू कर दिया। गुरुवार शाम से बसों की संख्या घटने लगी थी। अकेले दून जिले में ही दो सौ से ज्यादा चालक व परिचालक छुट्टी पर चले गए थे। गुरुवार देर रात तक तीन दौर की वार्ता के बावजूद यूनियन का प्रबंधन से समझौता नहीं हुआ एवं आधी रात 12 बजे से यूनियन हड़ताल पर चली गई।
लंबी दूरी के यात्रियों को उठानी पड़ी परेशानी
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर देहरादून के डीलक्स, ग्रामीण डिपो, हरिद्वार, रुड़की व कोटद्वार डिपो में देखने को मिला। यहां गुरुवार रात से शुक्रवार की शाम तक बसों का संचालन प्रभावित रहने से लंबी दूरी के यात्रियों को कुछ घंटे परेशानी उठानी पड़ी। हालांकि, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद व इंप्लाइज यूनियन हड़ताल में शामिल न होने से इन यूनियनों से जुड़े नियमित और आउट-सोर्स चालक-परिचालकों से कुछ बसों का संचालन कराया गया, मगर एसी व वाल्वो सेवा तब भी ठप रही।
इस दौरान प्रबंधन ने यूनियन से वार्ता के लिए कमेटी का गठन किया। मंडलीय प्रबंधक संचालन पवन मेहरा व मंडलीय प्रबंधक तकनीकी मुकुल पंत, एजीएम पूजा केहरा व प्रतीक जैन की कमेटी ने दोपहर में हड़तालियों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की और देर शाम उन्हें मना लिया। वार्ता में यूनियन के क्षेत्रीय मंत्री केपी सिंह, प्रदेश प्रवक्ता विपिन कुमार, हरेंद्र कुमार, देवेंद्र मान व दीपक शाह शामिल रहे।