किसानों की जेब में आएगी जैविक खेती से हरियाली

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जैविक खेती करने वाले किसानों की आय दोगुने करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। विभिन्न प्रकार के जैविक अनाज, फल और सब्जियां उगाने वाले किसानों के उत्पादों की लेबलिंग होगी। जिससे वे बाजार में अपने उत्पादों को जैविक प्रमाण पत्र के साथ बेच सकेंगे।

जैविक उत्पादों की बाजार में अच्छी डिमांड है, लेकिन किसानों के पास अपने जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए कोई जरिया नहीं था। अब कृषि विभाग जैविक इनपुट की लेबलिंग और उनके प्रमाणन तंत्र को मजबूत करेगा। इससे मैदानी क्षेत्रों में किसान जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित होंगे। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में उगाई जा रही परंपरागत फसलों को इसका लाभ मिलेगा। पहाड़ों में मडुआ, झंगोरा, भट, गहत की जैविक खेती का दायरा बढ़ेगा, जबकि अन्य क्षेत्रों में अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियों, फलों की जैविक खेती होगी।

किसानों का होगा पंजीकरण

जैविक खेती करने वाले किसानों का पंजीकरण होगा। साथ ही फार्मर डायरी बनेगी। जिसमें जैविक खेती करने वाले किसानों का नाम, पता सहित यह जानकारी होगी कि कितने एरिया में जैविक खेती की जा रही है। सभी जानकारियों का अभिलेखीकरण किया जाएगा।

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग तीन साल तक किसानों जैविक खेती का प्रशिक्षण देगा। खेती को पूरी तरह रासायनिक खाद के प्रयोग से मुक्त किया जाएगा। साथ किसानों द्वारा जैविक खेती शुरू करने से लेकर अगले तीन सालों तक कृषि विभाग निगरानी के साथ ही तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा।

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