देहरादून: मसूरी के शिफन कोर्ट के 80 पहाड़ी परिवारों के विस्थापन किये जाने व शहीद स्थल को न तोड़े जाने की मांग को लेकर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया। यहां समिति के केन्द्रीय संयोजक व पूर्व दर्जाधारी राज्य मंत्री मनीष नागपाल के नेतृत्व में आंदोलनकारी जिलाधिकारी कार्यालय में इकटठा हुए और वहां पर जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन में कहा गया है कि विगत दिनों मसूरी के सीफन कोर्ट में रह रहे लगभग 80 पहाड़ी परिवारों को अतिक्रमण हटाने के नाम पर विस्थापन कर दिया गया था और केवल रोपवे निर्माण के लिए इतने लोगों को हटाया जाना ठीक नहीं है यह लोग अंग्रेजों के जमाने से वहां पर रह रहे थे।
जीएसटी संग्रहण में वृद्धि के मामले में छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश संयुक्त रूप से पहले स्थान पर
देहरादून की बस्तियों को न्यायालय ने हटाने का आदेश
ज्ञापन में कहा गया है कि केवल विकास के नाम पर जनता का उत्पीड़न ठीक नहीं होता है प्रशासन ने इनको न्यायालय की आड़ लेकर बेघर किया अगर यह चाहते तो जैसे देहरादून की बस्तियों को विस्थापन आदेश दिया था पर राज्य सरकार ने उन्हें अध्यादेश लाकर बचा लिया और कहीं पर उच्चतम न्यायालय की शरण ली और बस्तियां टूटने से बच गई परंतु यहां पर सरकार ने ऐसा नहीं किया और इनको बेघर कर दिया गया और अगर किसी कारण इनको हटाना भी था तो पहले इनका पुनर्वास किया जाना था और फिर इनको हटाना था और आज यह लोग खुले में भटकने में रहने को मजबूर हो रखे हैं।
80 परिवारों को राज्य सरकार तत्काल पांच लाख रूपये मुआवजा
ज्ञापन में कहा गया है कि जवान बहन बेटियों ,बच्चों के संग यह लोग सड़कों में धक्के खा रहे हैं जिन जन प्रतिनिधियों को इन्होंने चुनकर भेजा वह भी इनकी मदद को आगे नहीं आए है। ज्ञापन में राज्यपाल से आग्रह किया गया है कि इन 80 परिवारों को विस्थापन राज्य सरकार तत्काल पांच लाख रूपये मुआवजा दें और उनका पुनर्वास करें ताकि इन सर्दियों के मौसम में यह लोग सड़कों पर धक्के ना खाएं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर न हो। सरकार को इतना संवेदनहीन नहीं होना चाहिए। यह लोग वह लोग हैं जिनकी शहादतो की वजह से उत्तराखंड राज्य बना है।
ज्ञापन में कहा गया है कि
राज्य सरकार शहीद स्थल को कचहरी से हटाना चाहती है उसका कड़ा विरोध करते हैं और यह मांग करते हैं कि इसको यहां से हटाया न जाए क्योंकि शहीद स्थल से हमारी जन भावनाएं और अतीत की यादें जुड़ी हुई हैं और यह राज्य की एक ऐतिहासिक धरोहर बन चुकी है आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाएगा कि किस प्रकार से आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत देकर इस राज्य का निर्माण कराया गया और शहीद स्थल संघर्ष की गाथा को बयान करता है इसलिए इसको तोड़ा ना जाए। ज्ञापन में कहा गया कि समस्याओं का तत्काल प्रभाव से निराकरण किया गया। इस अवसर पर ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से मनीष कुमार नागपाल, नवीन जोशी, मीडिया कमेटी के चेयरमैन तथा पूर्व राज्य मंत्री महेश जोशी, केंद्रीय प्रवक्ता संदीप चमोली विपुल नौटियाल, पीयूष गौड वरिष्ठ आंदोलनकारी, अजय माथुर ,मोहन, जहांगीर खान, मोहन सिंह रावत आदि शामिल थे।
अररिया के फारबिसगंज में चुनावी सभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी