Joshimath Sinking : लगातार बढ़ रही दरारग्रस्त भवनों की संख्या

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देहरादून: Joshimath Sinking  जोशीमठ के आपदाग्रस्त क्षेत्र में स्थित जेपी कालोनी के उन सभी घरों और संरचनाओं को यांत्रिक (मैकेनिकल) तरीके से हटाने के आदेश दिए गए हैं, जिनकी रेट्रोफिटिंग संभव नहीं है। आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ में चल रहे राहत कार्यों की ब्रीफिंग में यह जानकारी साझा की। उन्होंने यह भी कहा कि जोशीमठ में कुछ स्थानों पर दरारें थोड़ी चौड़ी हुई हैं, लेकिन ये नई नहीं, पुरानी दरारें हैं।

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दरारों में पानी भरने की आशंका

सर्वे कार्य चल रहा है, इसीलिए ऐसे भवनों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा वर्षा होने पर भूमि में पड़ी दरारों में पानी भरने की आशंका के मद्देनजर इन्हें पाटा जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने जोशीमठ के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) को नोडल बनाया है।

सोमवार को सचिवालय के मीडिया सेंटर में हुई ब्रीफिंग में डा सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में हाथी पहाड़ की तरफ से लेकर जेपी कालोनी व अलकनंदा नदी तक का क्षेत्र प्रभावित है। इसी क्षेत्र की जमीन के भीतर तनाव है।

दरार वाले भवनों व संरचनाओं को हटाने के लिए कहा

भार कम करने के दृष्टिगत ही जेपी कालोनी के दरार वाले भवनों व संरचनाओं को हटाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि भूमि में पड़ी दरारों को छिपाने की दृष्टि से नहीं, बल्कि वर्षा होने पर इनमें पानी भरने की आशंका से पाटा जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि जेपी कालोनी में फूटी जलधारा से जल प्रवाह में कमी आई है और अब यह 163 एलपीएम है।

अंतरिम रिपोर्ट के स्थान पर फाइनल रिपोर्ट मांगी

जोशीमठ (Joshimath Sinking) में जेपी कालोनी में फूटी जलधारा के स्रोत का पता लगाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) पानी के नमूनों की जांच कर रहा है। शुरुआत में एनआइएच ने पांच नमूने लिए थे, जबकि इस बीच उसने 20 और नमूने लिए।

एनआइएच ने शासन को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी, लेकिन अब उससे समग्र व फाइनल रिपोर्ट मांगी गई है। सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा के अनुसार अंतरिम रिपोर्ट में कई बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है। इसीलिए उसे फाइनल रिपोर्ट जल्द देने को कहा गया है।

बढ़ी दरारग्रस्त भवनों की संख्या

डा सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में सर्वे चल रहा है। ऐसे में जिन घरों में दरारें पड़ी हैं, उनकी संख्या बढ़ रही है। रविवार को ऐसे भवनों की संख्या 826 थी, जो सोमवार को बढ़कर 849 हो गई। सर्वे जारी है और यह संख्या और बढ़ेगी।

केदारनाथ की तर्ज पर होगा पुनर्निर्माण

आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार सभी जांच एजेंसियों की रिपोर्ट मिलने के बाद विज्ञानियों की समिति गठित की जाएगी, जो इन रिपोर्ट का अध्ययन कर निष्कर्ष पर पहुंचेगी।

भविष्य में यदि जोशीमठ के आपदाग्रस्त क्षेत्र को बसाने की स्थिति बनी तो इसके लिए केदारनाथ की तर्ज पर पुनर्निर्माण किया जाएगा। सभी के सहयोग से इसे बेहतर से बेहतर बनाया जाएगा।

तकनीकी का करेंगे इस्तेमाल

डा सिन्हा ने एक प्रश्न पर कहा कि भूधंसाव का उपचार कर जोशीमठ (Joshimath Sinking)  को सुरक्षित करने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इसके लिए देश अथवा विदेश की सफल तकनीकी को यहां भी अपनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमें यहां की आजीविका समेत सभी विषयों को साथ लेकर चलना है। ऐसे में तकनीकी का उपयोग तो आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ को लेकर गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं।

कर्णप्रयाग व ऊखीमठ का अध्ययन करेगा आइआइटी

चमोली जिले में ही कर्णप्रयाग में भूधंसाव व घरों में दरारें पडऩे के बारे में पूछे जाने पर डा सिन्हा ने कहा कि आइआइटी रुड़की को यहां के जियो फिजिकल सर्वे का जिम्मा सौंपा गया है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि ऊखीमठ क्षेत्र का भी आइआइटी रुड़की से जियो फिजिकल सर्वे कराया जा रहा है।

अस्थायी पुनर्वास के लिए प्री-फैब घर

डा सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ के आपदा प्रभावितों के अस्थायी पुनर्वास के लिए चयनित स्थलों पर प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे। सप्ताहभर के भीतर सीबीआरआइ ऐसे भवनों के माडल तैयार करा देगा। उन्होंने बताया कि प्रभावितों के घरों का आदि का मापन हो रहा है। इसी हिसाब से उनका स्थायी पुनर्वास होगा, लेकिन इसके बारे में निर्णय अलग से लिया जाएगा।

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