देहरादून: Paonta Sahib-Ballupur Highway मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पांवटा साहिब-बल्लुपुर राजमार्ग के उन्नयन व फोरलेन हेतु वित्तीय स्वीकृति दिए जाने को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्रीय सङक परिवहन मंत्री श्री नीतिन गडकरी जी का आभार जताया है।
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मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तराखण्ड में रोड़ कनेक्टिविटी लगातार मजबूत हो रही है। गौरतलब है कि छभ्-72 के पांवटा साहिब-बल्लूपुर (Paonta Sahib-Ballupur Highway) खंड का उन्नयन और फ़ोर लेन के निर्माण के लिए रूपये 1093.01 करोड़ की लागत प्रस्तावित थी जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए बजट की स्वीकृति मिल चुकी है।
हाईकोर्ट ने धामी सरकार से पूछा: कोरोना को लेकर नई एसओपी जारी की?
प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार से मौखिक रूप में पूछा है कि क्या कोरोना पर काबू पाने के लिए कोई नई एसओपी जारी की गई है? यदि नई एसओपी जारी की गई है तो पहली अप्रैल तक कोर्ट को बताएं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि अब प्रदेश में कोरोना के केस नहीं है। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अन्य राज्यों से बेहतर हो चुकी है। सरकार ने कोर्ट के आदेश पर नैनीताल व बागेश्वर में सीटी स्कैन मशीन लगवा दी है। सरकार ने 293 डॉक्टरों, 1200 नर्सों और अन्य मेडिकल स्टाफ की भर्ती के लिए अनुमोदन भेज दिया है। प्रदेश में अब एक भी क्वारंटीन सेंटर भी नहीं है, इसलिए इस जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है।
डॉक्टरों की भारी कमी
वहीं, याचिकाकर्ताओं का कहना था कि अब भी कोरोना के केस मिल रहे हैं। प्रदेश के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। डॉक्टरों की भारी कमी है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करीब 1500 डॉक्टरों और स्टाफ की जरूरत है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि जिला मॉनिटरिंग कमेटी के सुझावों का सरकार से पालन करवाया जाए।
कोर्ट ने सुझाव मांगे थे
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कीं थीं। कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटी गठित कर सुझाव मांगे थे।
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