अवैध बस्ती पर चली जेसीबी, पक्के घर तोड़े

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आखिरकार प्रशासन की जेसीबी देहरादून के शीशमबाड़ा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 58 बीघा से अधिक जमीन पर बसी अवैध बस्ती पर चल गई। प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने अवैध निर्माण तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। इस दौरान कब्जाधारियों के तेवर दिखाए। भारी फोर्स की मौजदूगी में पुलिस के आगे किसी की एक न चली।

राज्य सरकार ने शीशमबाड़ा के मलिन नई बस्ती में सीआरपीएफ को करीब 58 बीघा जमीन आवंटित की है। मगर इस जमीन पर बरसों से कब्जा है। यहां लोग पक्के निर्माण कर रह रहे हैं। इनको यहां से हटाना प्रशासन के लिए सिरदर्दी बन गया था। कुछ दिन पहले ही प्रशासन ने 320 घरों को नोटिस दे अवैध कब्जे को खाली करने को कहा था।

सरकारी जमीन पर किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए बुधवार सुबह भारी पुलिस बल शीशमबाड़ा पहुंचा। देहरादून जिला प्रशासन और विकास नगर तहसील प्रशासन ने बुधवार सुबह 9रू00 बजे अवैध कब्जे हटाने की कार्यवाही शुरू की। प्रशासन ने जेसीबी लगाकर अवैध निर्माण कर बनाए गए भवनों को तोड़ डाला। इस दौरान लोग सामान समेटने में लगे रहे। पुलिस के साए में प्रशासन की कार्रवाई से लोग दहशत में हैं। लेकिन अपने घरों को उजड़ते देख महिलाएं और बच्चे रोते बिलखते नजर आ रहे हैं।

शीशमबाड़ा में सीआरपीएफ की जमीन पर हुए अवैध कब्जों को बुधवार को तोड़ने की तैयारी पर गुस्साए क्षेत्र के लोग देर शाम सीएम आवास कूच को निकले थे। बस, गाड़ियों में सवार होकर निकले लोगों को पुलिस ने नंदा की चैकी के पास रोक लिया। सीएम आवास कूच की अगुवाई कर रहे सपा नेता महितोष मैठाणी ने कहा कि सरकार कई लोगों को उजाड़ना चाहती है, लेकिन सपा मंसूबों को पूरा होने नहीं देगी। सीएम आवास कूच के दौरान पुलिस ने भले ही नंदा की चैकी पर रोक दिया है, लेकिन वह हार नही मानेंगे।

सीएम के आदेश पर हरकत में आया प्रशासन

शीशमबाड़ा में सीआरपीएफ की 58 बीघा जमीन पर कब्जे को लेकर सीएम त्रिवेंद्र रावत ने डीएम देहरादून को फटकार लगाई थी। इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री ने कह डाला कि डीएम देहरादून उनके पास सीआरपीएफ की जमीन पर कब्जे की सूचना लेकर आए थे, लेकिन उन्होंने डीएम से दो टूक कह दिया कि पहले कब्जा हटाकर आइए। वर्दी की जमीन पर कब्जा कतई सहन नहीं किया जाएगा। सीएम ने कहा है कि सेना हो या अर्द्ध सैनिक बल या फिर सेना में तैनात जवान हों या रिटायर्ड सैनिक या सैनिक आश्रित अगर कहीं उनकी जमीन पर इस तरह के कब्जे होते हैं तो राज्य सरकार सख्ती से पेश आएगी। इसमें किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी।

 

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