स्वंतत्रता सेनानी स्व.फुनकु दास व स्व.कलीराम सांस्कृतिक मेला समिति की ओर से आयोजित मेले में लोकगायकों और स्थानीय कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी। इस दौरान कलाकारों के गीत नृत्यों पर दर्शक जमकर झूमे। मेले में दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आये लोगों ने मेले में जमकर खरीदारी की। साहिया मिनी स्टेडियम में आयोजित मेले में कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ.दिनेश चैहान और पछुवादून भाजपा अनुसूचित जनजाति के अध्यक्ष अमरसिंह चैहान ने दीप जलाकर किया।
इस मौके पर डॉ. चैहान ने कहा कि थौल मेले हमारी पारंपरिक संस्कृति है। पिछले कुछ सालों से थौल मेलों के प्रति लोगों का आकर्षण कम हो गया था। लेकिन फिर से लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता आने से मेले में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं। कहा कि मेले हमारी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत हैं। जिसे हमें आगे भी कायम रखना होगा। मेले में गायक धर्मेंद्र परमार, भजनदास वर्मा, रेखा खन्ना, राकेश दिलवर, सचिन और विशाल तोमर आदि की जौनसारी गीत नृत्यों की प्रस्तुति पर दर्शक जमकर थिरके।
झूले और चर्खियों का उठाया जमकर लुफ्त
रंगारंग कार्यक्रमों का शुभारंभ लोक कलाकारों ने महासू वंदना के साथ शुरू किया। इसके बाद हारुल और तांदी के गीत नृत्यों की प्रस्तुति देते हुए लोक कलाकारों ने पाणी ये पाणी खेड़ेदा काटा सबला,मोड़े रे मोड़ाइले,बेड़ो दे न बाकरे पड़े पिशु, चुरानी गन्यात सावनी है,जुवा खेलो तास रे आदि गीत नृत्यों पर दर्शकों की जमकर तालियां बटोरी। मेले में युवक, युवतियों, महिलाओं ने झूले और चर्खियों का जमकर लुफ्त उठाया। मेले के दौरान महिलाओं ने सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के साथ साथ मिठाई, पकोड़ी और जलेबी आदि विभिन्न प्रकार की मिठाईयों का मजा लिया।