देहरादून। मछली पालन के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। बाजार में भारी मांग है। उत्तराखंड में मत्स्य उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। खासतौर पर ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाली ट्राउट मछली की कीमत बाजार में 1200 रुपये से 2000 रुपये तक है। उत्तराखंड में कुछ किसान ट्राउट का उत्पादन कर लाभ कमा रहे हैं। कारगर योजना बनाकर मत्स्य उत्पादकों की संख्या 5000 से 10000 करना है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सचिवालय में वित्तीय वर्ष 2018-19 की कार्ययोजना के राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की अध्यक्षता कर रहे थे। 39.55 करोड़ रुपये के वार्षिक कार्य योजना को अनुमोदित किया गया। बताया गया कि कोल्ड वाटर फिशरीज डेवलपमेंट के अंतर्गत 7.71 करोड़ रुपये से विभिन्न कार्य किए जाएंगे। कोल्ड वाटर डेवलपमेंट की विशेष परियोजना पर 18 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। इसके अंतर्गत 114 स्थाई फार्मिंग इकाई का निर्माण, ट्राउट रेस वेज का निर्माण, महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए 44 इकाइयों का निर्माण, 41 बहते पानी का फिश कल्चर, 19 इकाई महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए निर्माण, रुद्रप्रयाग में ट्राउट ब्रूड बैंक का निर्माण, बागेश्वर और टिहरी में 6 से 10 टन प्रतिदिन क्षमता का बड़ा फीड प्लांट और सरकारी क्षेत्र में 2 ट्राउट हैचरी का निर्माण शामिल है। केज कल्चर को विकसित करने के लिए 18 केज की स्थापना 58 लाख रुपये से की जाएगी। 2.49 करोड़ रुपये से 16.95 हेक्टेयर में मिशन फिंगर्लिंग 16.95 हेक्टेयर में इनपुट, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए 9.70 हेक्टेयर में फिंगर्लिंग का निर्माण और इनपुट दिया जाएगा। 26.85 लाख रुपये से तालाबों के रेनोवेशन का कार्य किया जाएगा। जल प्लावन वाले इलाकों के विकास के लिए 1.50 करोड़ रुपये, सोलर पावर से फिंगर्लिंग का सुदृढ़ीकरण, 5.54 करोड़ रुपये से एक्वा कल्चर गतिविधियां, निजी क्षेत्र में पंगेसिस मछली का उत्पादन, किसानों का कौशल विकास, रिटेल फिश मार्केट, मोबाइल फिश आउटलेट और मत्स्य विकास के अन्य कार्य किए जाएंगे। किसानों का ग्रुप एक्सीडेंट इन्शुरन्स, डेटाबेस का सुदृढ़ीकरण आदि कार्य किए जाएंगे।