देहरादून। अनिश्चितकालीन भूख हडताल पर बैठे ग्राम प्रधानों के आंदोलन को समर्थन देने कांग्रेस के राजपुर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक राजकुमार पहुंचे। राजकुमार ने प्रदेश के ग्राम पंचायत संगठन एवं पंचायत प्रतिनिधियों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का समर्थन किया। धरना दे रहे प्रधानों की मांगों को पूर्व विधायक ने सुना और बाद में सचिव शहरी विकास को नगर निगम की सीमा विस्तार पर आपत्ति जताते हुए ज्ञापन दिया।
राजकुमार ने कहा कि प्रदेश भर के नगर निकायों में कर्मचारियों एवं संसाधनों की कमी के कारण निगम, पालिकाएं, पंचायतें घाटे में चल रही हैं। काफी समय से जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं उनके स्थान वर्तमान तक अधिकतम निकायों में रिक्त हैं। निकायों में राजस्व की कमी के कारण रिक्त पदों पर नियुक्ति करना भी संभव नहीं है। वर्तमान समय में नगर निगम देहरादून की सीमा 65 वर्ग किलोमीटर है, जो कि सीमा विस्तार के बाद लगभग 60 गांव जुड़ जाने के बाद बढ़कर लगभग 100 वर्ग किलोमीटर से अधिक हो जाएगा, जिसका क्षेत्रफल 12051.70 हेक्टेयर है, जिन गांव की जनगणना के तहत 177112 आबादी है। निगम के विस्तारीकण में जिन 60 पंचायतों का विलय होना है। उक्त क्षेत्र में मैदानी क्षेत्र के बड़े भू-भाग पर कृषि भूमि के साथ-साथ बाग-बगीचे और आरक्षित वन क्षेत्र भी हैं, जिसको बचाए रखना हमारी पूर्ण जिम्मेदारी है।
राजकुमार ने कहा कि गंावों में आज भी केन्द्रएवं राज्य सकरार द्वारा जन सरोकारों से सम्बन्धित विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। यदि यहां कृषि भूमि पर समाप्त कर दी जाती है तो भविष्य में खाद्यान्न सम्बन्धित संकट पैदा हो सकता है। नगर पालिका के समय जहॉं कर्मचारीयों की संख्या लगभग 1500 थी वह वर्तमान में लगभग 500 रह गई है। 2002-2003 में नगर निगम के विस्तारीकरण के समय 18 गॉंवों को शामिल किया गया था, जहां से वर्तमान तक राजस्व की प्राप्ति एवं सफाई व्यवस्था को लेकर कोई निर्णय लिया गया है। ऐसी स्थिति में नगर निगम सीमा विस्तार करना जनता के साथ खिलवाड़ होगा, साथ ही नगर निगम जब मौजूदा स्थिति से निपटने में असमर्थ है तो सीमा विस्तार के बाद यह स्थिति और भयानकर हो जाएगी, मौजूदा 60 वार्डों में ही समय से सफाई व्यवस्था नहीं की जाती, न ही कोई उचित सुविधा उपलब्ध कराई गई है, ऐसे में सीमा विस्तार करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधानों की मांगें जिनमें राज्य वित, 14वां वित कटौती का आदेश वापिस लेने व सभी पंचायतों को पूर्व की भांति धनराशि देने, उत्तराखण्ड पंचायत राज एक्ट नियमावली को तत्काल लागू करने, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत में शामिल ग्राम पंचायतों को बहाल करने, ग्राम प्रधानों का मानदेय सम्मानजनक रूप में न्यूनतम 05 हजार रूपये करने आदि पर भी उचित कार्यवाही करने को कहा गया।