साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर (यूसर्क) ने उत्तराखंड में प्राथमिक से लेकर इंटरमीडिएट तक के सभी 23 हजार विद्यालयों का जीआईएस मैप तैयार कर लिया है। इसमें विद्यालयों की स्थिति, सड़क, ब्लॉक और जिला मुख्यालय से दूरी सहित सभी जानकारियां प्रदर्शित हैं। यूसर्क ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक विकास में मदद के लिए माणा-मुनस्यारी मॉडल विकसित किया है। यूसर्क के विशेषज्ञों ने इस मॉडल के जरिए यह निष्कर्ष निकाला है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक विकास को गति दी जा सकती है।
स्थानांतरण नीति, दुर्गम-सुगम आदि के निर्धारण में भी मदद
साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर (यूसर्क) और उत्तराखंड स्पेश एप्लीकेशन सेंटर (यूसेक) के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने बातचीत में यह जानकारी दी। प्रो. पंत ने बताया कि राज्य के सभी 23 हजार सरकारी प्राथमिक से लेकर बारहवीं तक के विद्यालयों का जीआईएस आधारित मैप तैयार कर लिया गया है। इसके जरिए इन विद्यालयों के विकास की भावी योजनाओं के साथ ही शिक्षकों की स्थानांतरण नीति, दुर्गम-सुगम आदि के निर्धारण में भी मदद मिलेगी।
प्रो. पंत ने यह भी बताया कि यूसर्क ने माणा और मुनस्यारी के बारे में अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रौद्योगिकी की मदद से दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक विकास को गति दी जा सकती है। यूसर्क ने इसे माणा-मुनस्यारी मॉडल का नाम दिया है।
यूसर्क द्वारा गैरसैंण में भी एक केंद्र
उन्होंने यह भी बताया कि यूसर्क द्वारा गैरसैंण में भी एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है। हर जिले में बच्चों में रचनात्मकता बढ़ाने के लिए भी काम किया जा रहा है। राज्य के अंतिम छोर पर रहकर पढ़ाई कर रहे छात्रों की मदद के लिए बाहर से तमाम विषयों के विशेषज्ञ बुलाकर उनकी शंकाएं दूर की जा रही हैं। क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए एक पोर्टल भी विकसित किया गया है जिसमें छात्रों को उनके करियर आदि के बारे में सभी जानकारियां मिल जाती हैं। प्रो. पंत उत्तराखंड मुक्त विवि में भी निदेशक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं और छात्रों के लिए मुक्त शिक्षा प्रणाली आज काफी मददगार साबित हो रही है। इस क्षेत्र में भी राज्य में काफी काम किया जा रहा है।