देहरादून: प्रदेश की सुदूरवर्ती इलाके भी जल्द परिवहन सेवाओं से जुड़ जाएंगे। इसके लिए परिवहन विभाग अब नई बसों का इंतजार कर रहा है। इसके बाद नए मार्गों को अधिसूचित कर इनमें बसों का संचालन करना सुनिश्चित किया जाएगा। प्रदेश में परिवहन विभाग इस समय सभी जिलों को राजधानी देहरादून के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ चुका है। इस समय उत्तराखंड के सुदूर पर्वतीय जिलों से देहरादून, रुड़की, हरिद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल एवं दिल्ली के लिए बसों का संचालन हो रहा है।
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फिलहाल 300 से अधिक बसें संचालित
इन मार्गों पर फिलहाल 300 से अधिक बसें संचालित हो रही हैं। इससे पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों का इन जिलों तक आवागमन सुनिश्चित हो रहा है। इस समय प्रदेश में कुल 42 कस्बे हैं। इनमें से 36 कस्बे परिवहन निगम की सेवाओं से जुड़े हुए हैं। यानी इन स्थानों से बसें संचालित हो रही हैं अथवा इन कस्बों से होकर ये बसें गुजर रही हैं। वैसे तो पर्वतीय जिलों में बड़ी संख्या में निजी बसें और ट्रेकर आदि भी संचालित हो रहे हैं। इनमें खासी संख्या में सवारियां भी होती हैं, बावजूद इसके परिवहन निगम की बसों को आज भी सुरक्षित सफर की गारंटी माना जाता है। लंबी दूरी के मार्गों पर यात्री इन्हीं बसों पर सफर करना पसंद करते हैं।
हालांकि, परिवहन निगम के लिए ये मार्ग राजस्व के लिहाज से बहुत अधिक फायदेमंद नहीं होते। स्थिति यह है कि कुछ मार्गों पर तो परिवहन निगम सफर की लागत भी नहीं निकाल पाता। सरकारी उपक्रम होने के कारण निगम को घाटे के बावजूद इन मार्गों पर बसों का संचालन करना पड़ता है। यही कारण है कि निगम सरकार से पर्वतीय घाटे के रूप में राज्य सरकार से सालाना एक मुश्त रकम लेता है।
परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन, दीपक जैन ने बताया कि
प्रदेश में अभी भी कुछ कस्बे ऐसे हैं, जिनमें परिवहन निगम बसों का संचालन नहीं कर पा रहा है। परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन, दीपक जैन ने बताया कि उत्तराखंड परिवहन निगम में छोटी बसें सीमित संख्या में हैं। सीमित बसें होने के कारण वर्तमान में निगम इन छूटे हुए मार्गों पर नई सेवाएं देने की स्थिति में नहीं है। भविष्य में जैसे ही नई बसें प्राप्त होंगी, परिवहन निगम राज्य के सुदूर कस्बों में बसों का संचालन जरूरत के अनुसार करेगा।
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