उत्तराखंड के बीजेपी के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कांग्रेस और शिवसेना के निशाने में है। महाराष्ट्र कांग्रेस लगातार उन पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर रही है इसी कड़ी में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की पारंपरिक टोपी पर कटाक्ष किया.
कांग्रेस की बदजुबानी का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने जमकर विरोध किया तो वही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसका समर्थन किया. सचिन सावंत ने महाराष्ट्र के मौजूदा राजनातिक हालात पर राज्य पाल भगत सिंह कोश्यारी का विरोध करते हए मराठी में ट्वीटर पर कहा :-
इस का हिंदी आशय है की ” यदि महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपनी टोपी उतारने के बारे में विचार करते है तो वह जरुर अपनी जिम्मेदारी को याद करेंगे और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त करेंगे। यह टोपी संवैधानिक जिम्मेदारी के लिए एक बाधा है।”
सचिन सावंत के इस ट्वीट पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपति जताई । CM रावत ने ट्वीट करते हुए लिखा – “महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं हमारे आदरणीय श्री @BSKoshyari जी पर की गई अभद्र टिप्पणी देवभूमि की संस्कृति के अहम प्रतीक चिन्ह के अपमान के साथ देश की फौज का भी अपमान है; ज्ञात हो कि इस टोपी का संबंधगढ़वाल रेजिमेंट और कुमाऊँ रेजीमेंट से रहा है।” मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के इस बयान का लोगो ने भी समर्थन किया और मुबई पुलिस से करवाई की मांग की.
कांग्रेस प्रवक्ता के इस ओछे बयान का जहां चौतरफा विरोध हो रहा है तो वही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महाचिव हरीश रावत ने उल्टा मुख्यमंत्री के समर्थन के बजाये महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रवक्ता का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के ट्वीट पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा
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हरीश रावत के इस ट्वीट के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने हरीश रावत के 2019 में दिए गए बयान का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा ‘सिर्फ टोपी निकालकर निर्णय लिजीए ऐसा कहना अभद्र कैसे हुआ? वैसे कोश्यारीजी अपने टोपीका राजनीतिक मुद्दा राजनीतिक जीवनमें पहले बना चुके हैं। वे जो टोपी पहनते हैं वो कुछ और ही है ऐसी उत्तराखंडमेंही राय है। लोगोंको गुमराह न करें,..