Sputnik V Vaccine: रूस में तैयार हुई कोरोना वायरस वैक्सीन Sputnik V का उत्पादन भारत में होगा। इसके लिए हेटरो ग्रुप से डील की गई है। एक बयान में रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने कहा कि दोनों कंपनियां मिलकर हर साल 100 मिलियन (10 करोड़) डोज तैयार करेंगी। भारत में यह दूसरी ऐसी वैक्सीन है जिसकी इतनी ज्यादा डोज बनाने की हेटरो डील हुई है। इससे पहले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने एस्ट्राजेनेका से उसकी कोविड वैक्सीन के उत्पादन की डील हो चुकी है। Sputnik V का देश में फेज 3 ट्रायल डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज कर रही है। यह दुनिया में रेगुलेटरी अप्रूवल पाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन थी मगर पर्याप्त ट्रायल डेटा न होने की वजह से इसमें दिलचस्पी कम रही। भारत में वैक्सीन को सभी चेक्स से गुजरने के बाद ही अप्रूवल मिलेगा।
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अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगा प्रॉडक्शन
रूस के सावरेन वेल्थ फंड ने एक बयान में कहा कि वैक्सीन का उत्पादन 2021 में शुरू करने का इरादा है। इस समय इस वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण बेलारूस, यूएई, वेनेजुएला और अन्य देशों में चल रहा है। RDIF ने कहा कि भारत में दूसरे चरण और तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है।
कोरोना से बचाने में 95% तक असरदार है वैक्सीन
रूस में बनी Sputnik V वैक्सीन 95% असरदार होने का दावा करती है। नतीजों के आधार पर यह फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के समकक्ष मालूम देती है। मॉडर्ना की वैक्सीन 94.5% जबकि फाइजर की वैक्सीन 95% असरदार पाई गई है। यह वैक्सीन -20 से -70 डिग्री तापमान के बीच स्टोर की जा सकती है जो इसके डिस्ट्रीब्यूशन में एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
कितनी होगी रूसी वैक्सीन की कीमत?
मंगलवार को रूस ने कहा था कि उसकी वैक्सीन की एक डोज 10 डॉलर से कम (करीब 740 रुपये) में उपलब्ध होगी। फाइजर की वैक्सीन इससे दोगुनी और मॉडर्ना की तीन गुनी महंगी है।
कैसे काम करती है रूसी कोरोना वैक्सीन?
मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट की बनाई इस वैक्सीन को एडेनोवायरस के आधार पर बनाए गए पार्टिकल्स का यूज करके बनाया गया है। वहां के प्रमुख एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि ‘जो पार्टिकल्स और ऑब्जेक्ट्स खुद की कॉपीज बना सकते हैं, उन्हें जीवित माना जाता है।’ उनके मुताबिक, वैक्सीन में जो पार्टिकल्स यूज हुए हैं, वे अपनी कॉपीज नहीं बना सकते।