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देहरादून। सिंचाई, जलागम, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने प्रमुख सचिव, सिंचाई के सचिवालय स्थित कार्यालय में बैठक में सिंचाई विभाग की बाढ़ सुरक्षा से संबंधित तैयारियों की समीक्षा की। मोबाइल कान्फ्रेंंिसग से की। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सम्भावित बाढ़ क्षेत्र के स्थानों को चिन्हित कर आवश्यक व्यवस्थायें यथासमय करें। जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने की दशा में जानमाल का नुकसान न हो।
मंत्री के निर्देश
- सभी जिलों में बाढ़ क्षेत्रों के लिए जनपद स्तरीय स्टेरिंग कमेटियों का गठन किया जाना।
- समस्त तहसील स्तरीय बाढ़ कमेटियों का गठन किया जाना।
- प्रत्येक जनपद/तहसील स्तर पर ग्रामवार बाढ़ से संवेदनशील स्थलों का चयन किया जाना।
- गत वर्ष 2017-18 की बाढ़ से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों का विवरण।
- बिन्दु 4 के विरूद्ध क्षति की पुनर्स्थापना हुई अथवा नहीं।
- गतवर्ष बाढ़ के बाद संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षात्मक कार्य के लिए कार्य योजनाओं का परीक्षण एवं स्वीकृतियां।
- जनपदों में बाढ़ के दौरान नदियों की अति संवेदनशील स्थलों पर चर्चा।
- बाढ़ काल जनपद स्तर से ग्रमीण क्षेत्रों तक त्वरित सूचना प्रणाली का क्रियान्वयन एवं चेतावनी पद्धति का प्रेषण।
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शरण स्थलों का चयन।
- चारांे धामों पर बाढ़ से प्रभावित परिसम्पत्तियों का पुनर्निर्माण व बिलम्ब के लिए उत्तरदायित्वों का निर्धारण।
- तराई क्षेत्रों में बाढ़ से जल प्लावन की समस्याएं व उनके निदानार्थ किये गये कार्यों की परिचर्चा।
- उत्तराखंड में बाढ़ के निदान के लिए दीर्घकालीन/तात्कालिक जनपद वार कार्य योजनाओं का प्रेषण।
- बाढ़काल (15 जून से 15 अक्टूबर तक) में तैनात कर्मियों के अवकाश को नियंत्रण अधिकारी से एक उच्च स्तर द्वारा स्वीकृति प्रदान किया जाना।
- बाढ़काल में शिथिलता पर दंडात्मक कार्यवाही सक्षम स्तर पर किया जाना।
- उत्तराखंड स्थित बांधों/जलाशयों का समुचित प्रबन्धन एवं राज्य/जनपद स्तर पर अनुश्रवण किया जाना।
- राज्य स्तरीय आपदा प्रबन्धन समिति से समुचित समन्वय एवं क्रियान्वयन के लिए रणनीति।
बैठक में रहे उपस्थित
आनंद बर्द्धन प्रमुख सचिव, देवेन्द्र पालीवाल अपर सचिव, रणजीत सिंह उपसचिव, एके दिनकर प्रमुख अभियन्ता सिंचाई, मुकेश मोहन मुख्य अभियन्ता, दिनेश चन्द्र मुख्य अभियन्ता, जयपाल सिंह मुख्य अभियन्ता आदि।