नई दिल्ली,अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती की कथित आहटों के बीच शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रों को राहत देने के उपायों पर गौर करना शुरू कर दिया है। इन्हीं कवायदों के तहत आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन उपायों पर गौर करे जो ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने यहां आर्थिक मंदी से स्टूडेंट को बचाने के लिए उठाए हैं। यही नहीं आईआईटी दिल्ली ने सरकार से गुजारिश की है कि वह छात्रों के ट्यूशन फीस के लिए कर्ज की श्रेणियों का विस्तार करे। साथ ही यह भी कहा है कि स्टूडेंट को नौकरी लग जाने के बाद ही वह उनके कर्ज के वसूली संबंधी मांग करे।
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उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी वृद्धि दर पांच प्रतिशत रह गई है। इसे विकास दर के स्तर में छह साल का न्यूनतम स्तर बताया जा रहा है। दरअसल, जीडीपी की विकास दर घटने से लोगों की आमदनी, खपत और निवेश, सब पर असर पड़ रहा है। जिन सेक्टरों पर इस आर्थिक सुस्ती का सबसे ज्यादा असर पड़ा है, वहां पर नौकरियां घटाने के ऐलान हो रहे हैं।
कारों की बिक्री में 36 फीसद की गिरावट
बिक्री घटने का तगड़ा असर ऑटो उद्योग पर पड़ा है। इस सेक्टर में नौकरियों में बड़े पैमाने पर कटौती हो रही है। भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी की जुलाई में पिछले साल के मुकाबले कारों की बिक्री में 36 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। यही नहीं टाटा मोटर्स, अशोक ली लैंड जैसी कंपनियों को भी गाड़ियों के निर्माण में कटौती करनी पड़ी है। नतीजन कल-पुर्जों के निमाण एवं ऑटो सेक्टर से जुड़े दूसरे इंजीनियरिंग के क्षेत्रों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
पास आउट हो रहे छात्रों को स्थापित होने में परेशानियां खड़ी न हों इसे देखते हुए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों ने पहलकदमी करनी शुरू कर दी है। आईआईटी दिल्ली की पहल को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यम (R Subramaniam) ने इस बात की तस्दीक की है कि उन्हें दिल्ली आईआईटी की ओर से आग्रह पत्र मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय संस्थान की गुजारिश पर गौर कर रहा है।