World Entrepreneurs Day 2021: देश के समग्र विकास में उद्यमियों की भूमिका

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बंडारू दत्तात्रेय। World Entrepreneurs Day 2021: तेजी से हो रहे वैश्विक बदलाव के दौर में उद्यमशीलता मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। भारत जैसी अर्थव्यवस्था के व्यापक परिवर्तन में उद्यमशीलता अहम भूमिका निभा सकती है। देश में मानव संसाधनों की उपलब्धता, युवा आबादी, कच्चे माल की मौजूदगी और सरकार की नीति व योजनाएं उद्यमिता को बढ़ावा देती हैं। देश में स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी कई नई पहलों के जरिये प्रधानमंत्री ने भारत को उद्यमी केंद्र के रूप में बदलने के लिए मैदान तैयार किया है। यह देश में बेरोजगारी की चुनौती को कम करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में मान्यता

एक औद्योगिक अनुमान के अनुसार, भारत में वर्तमान में 53 ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनका कुल मूल्यांकन 1.4 लाख करोड़ रुपये है। भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में मान्यता मिली है। केंद्र के आंतरिक व्यापार और औद्योगिक विकास द्वारा जुलाई 2021 तक 52,391 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में न्यता प्राप्त हो चुकी है। इनमें 50 हजार से अधिक स्टार्टअप के माध्यम से 5.7 लाख नौकरियों का सृजन किया गया है। इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1200 से भी अधिक निरर्थक कानूनों को समाप्त किया गया है, विकसित क्षेत्रों में प्रत्यक्ष निवेश के लिए 87 नियमों में ढील दी गई है और सभी सरकारी प्रक्रियाओं को आनलाइन किया गया है। देश में कारोबार को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। विश्व की ‘इज आफ डूइंग बिजनेस’ में भारत की रैंकिंग में पिछले सात वर्षों में 142 से 60 तक उछाल आना इसी का नतीजा है। स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बदलते उद्योग और बाजार की गतिशीलता को देखते हुए कौशल के साथ लोगों को रोजगार योग्य बनाने की आवश्यकता है।

World Entrepreneurs Day 2021: देश के सतत विकास में कुशल कार्यबल की अहम

देश के सतत विकास में कुशल कार्यबल की अहम भूमिका है। हालांकि हमारी महज 3.8 प्रतिशत आबादी ही कौशल में निपुण है जबकि ब्रिटेन में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत, जापान में 80 और दक्षिण कोरिया में 96 प्रतिशत आबादी कुशल है। हमारे पास लोगों को कुशल बनाकर अधिक से अधिक आबादी को लाभान्वित करने का एक बड़ा अवसर है। दुनिया की सबसे युवा आबादी भारत में ही है। यहां कुल आबादी में 65 प्रतिशत युवा हैं। इन युवाओं को कुशल बनाना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान को दिशा देने में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को मिशन मोड में लागू करने की जरूरत है। इस योजना के तहत 2022 तक 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। यह वास्तव में खुशी की बात है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में आठवीं कक्षा से ही स्कूलों में व्यावसायिक व व्यावहारिक शिक्षा पर काफी जोर दिया गया है। बच्चों को स्कूल स्तर से ही कुशल बनाने की सख्त आवश्यकता है ताकि 12वीं की शिक्षा पूरी करने के बाद उनके पास नौकरी पाने या आत्मनिर्भर होने का कौशल हो। इससे उनकी रोजगार की राह आसान होगी। आज डिजिटल स्किल ने स्वरोजगार की अपार संभावनाएं पैदा की है। वित्तीय साक्षरता के दौर में जब ज्यादातर कार्य आनलाइन हो गए हैं, तमाम क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर बढ़े हैं। ग्रामीण पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, बागवानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में भविष्य में जो अवसर उत्पन्न होंगे उनके लिए स्वयं को तैयार करना होगा।

देश के राष्ट्रीय व निजी क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय समावेश के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्टैंडअप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से बैंकों को युवाओं को ऋण देने के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों जैसे पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति/ जनजाति के लोगों को सरकार की योजनाओं से जोड़कर स्टार्टअप के लिए आगे लाना होगा। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पूंजी निवेश के साथ-साथ घरेलू खपत को भी बढ़ाना होगा और स्थानीय उद्यमियों को और अधिक प्रोत्साहित करना होगा। आज हमारे उद्यमी चीन में फैक्ट्रियां लगाकर वहां पर माल बनाकर भारत व अन्य देशों को निर्यात कर रहे हैं, इससे यह स्पष्ट है कि हमारे उद्यमियों के पास विश्व स्तर की उत्पादन तकनीक उपलब्ध है।

विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित

World Entrepreneurs Day 2021: इन तकनीकों को और अधिक विकसित करके गांव स्तर पर उद्यमिता को बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे। इसके लिए जरूरी है ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकना, प्रवास पर अंकुश लगाना और मजदूरों के असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में तब्दील करना। देश में करीब 93 प्रतिशत संख्या असंगठित मजदूरों की है जिस कारण मजदूर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। देश के सभी विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जाने के साथ-साथ रोजगार केंद्रों में खंड व तहसील स्तर पर करियर काउंसलिंग सेंटर स्थापित करने की आवश्यकता है, जो न केवल युवाओं का मार्गदर्शन करेंगे, बल्कि आज नशे से पैदा होने वाली समस्याओं से निपटने में भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे। इससे रचनात्मक कौशल संपन्न नागरिकों का निर्माण होगा और उद्यमिता के क्षेत्र को न पंख लग पाएंगे।

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