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Government of Uttar Pradesh ने कांवड़ यात्रा की स्थगित

Government of Uttar Pradesh

नई दिल्ली। Government of Uttar Pradesh कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दायर कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोरोना (corona) को देखते हुए इस साल भी कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है। इस साल कावड़ यात्रा नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के जवाब को देखते हुए इस मामले को बंद कर दिा है। कोर्ट ने साथ ही कहा है कि इसका उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। लोगों का जीवन का अधिकार सर्वोपरि है।

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उत्तर प्रदेश में इस साल कांवड़ यात्रा रद्द

बता दें कि उत्तर प्रदेश में इस साल कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई है. अपर मुख्‍य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि राज्‍य सरकार की अपील के बाद कांवड़ संघों ने यात्रा रद्द करने का निर्णय लिया। कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी थी।

25 जुलाई से शुरू हो रहा सावन का महीना

25 जुलाई से सावन का पावन महीना शुरू होने जा रहा है। सावन का महीना भगवान शिव और उनके उपासकों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं।

Government of Uttar Pradesh ने सुप्रीमकोर्ट को बताया कि कोरोना को देखते हुए इस साल भी कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है। कावड़ यात्रा नहीं होगी। कोर्ट ने सरकार के जवाब को देखते हुए मामला बंद किया। साथ ही कहा उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। लोगों का जीवन का अधिकार सर्वोपरि है।

क्या होती है कांवड़ यात्रा ?

भगवान शिव को खुश करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा निकालते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं। यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालु बांस की लकड़ी पर दोनों ओर टिकी हुई टोकरियों के साथ किसी पवित्र स्थान पर पहुंचते हैं और इन्हीं टोकरियों में गंगाजल लेकर लौटते हैं। इस कांवड़ को लगातार यात्रा के दौरान अपने कंधे पर रखकर यात्रा करते हैं, इस यात्रा को कांवड़ यात्रा और यात्रियों को कांवड़िया कहा जाता है। पहले के समय लोग नंगे पैर या पैदल ही कांवड़ यात्रा करते थे। हालांकि अब लोग बाइक, ट्रक और दूसरे साधनों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं।

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