वाराणसी, प्रदेश में बिजली विभाग ने दस फीसद से अधिक दरों में इजाफा किया है मगर वाराणसी में एक स्कूल में प्रति माह कुछ हजार तक आने वाला बिल अचानक अरबों रुपये होने से हड़कंप मच गया। जी हां, यह कारनामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय सीट वाराणसी जिले में बिजली विभाग ने किया है।
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वैसे तो महंगी हो चुकी बिजली और विभाग की लापरवाही के करेंट से अच्छे से अच्छा व्यक्ति झुलसता रहा है। ताजा मामला वाराणसी जिले का है जहां पर एक स्कूल का एक महीने का बिजली का बिल छह अरब अट्ठारह करोड़ इक्यावन लाख पचास हजार एक सौ तिरसठ रुपये विभाग ने भेज दिया। विभाग की ओर से इतना भारी भरकम बिल देखकर स्कूल प्रबंधन के पसीने छूटने लगे।
दरअसल विनायका, कमच्छा स्थित ओ ग्रेव पब्लिक स्कूल में अगस्त माह का बिजली का बिल छह अरब से अधिक आने के बाद स्कूल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। स्कूल प्रबंधन जब बिल लेकर अधिकारियों के समक्ष पहुंचा तो अधिकारियों ने सॉफ्टवेयर से ही बिल गड़बड़ होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से इति श्री कर लिया। वहीं बिल समय से भुगतान न करने पर सात सितंबर को बिजली काटने की बात बिल में होने पर विद्यालय प्रबंधन भी परेशान है कि कहीं बिजली विभाग अरबों रुपये जमा न होने पर बिजली काट दे।
बोले अधिकारी : इस बारे में नगरीय विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधीक्षण अभियंता जीवन प्रकाश ने कहा कि इस तरह का मामला मेरी जानकारी में नहीं है, अगर प्रकरण की जानकारी संज्ञान में आई तो जांच कराई जाएगी।
एसबीएम की गड़बड़ी से स्कूल का आया अरबों रुपये बिल, कर्मचारी पर होगी कार्रवाई
एसबीएम ( स्पॉट बिलिंग मशीन) में गड़बड़ी के चलते एक स्कूल का बिल अरबों रुपये आ गया है। बिजली निगम प्रबंधन अब गलत बिल निकालने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई करने जा रहा है।
विनायका स्थित ग्रेव पब्लिक स्कूल में नेट मीटर लगा हुआ है। यानी उपभोक्ता ने सोलर सिस्टम भी लगा रखा। इससे उपभोक्ता बिजली खरीदता एवं बेचता भी। ऐसे उपभोक्ताओं की बिलिंग शीधे कार्यालय के सिस्टम से की जाती है न कि एसबीएम से। बताया जा रहा है कि कर्मचारी के एसबीएम से बिल का प्रिंट निकाल कर उपभोक्ता को दे दिया। हालांकि जब यह बिल विभाग के सिस्टम में गया तो वहां से रिजेक्ट कर दिया गया। इस संबंध में नगरीय विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधिशासी अभियंता जीवन प्रकाश ने बताया कि यह बिल सिस्टम में नहीं है। इस उपभोक्ता का बिल नेट मीटर से अटैच है। इस लिए काफी जांच के बाद बिल दिया जाता है। यह कर्मचारी से लापरवाही हुई है। जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।