US ने हमारे हजारों लड़ाके मारे, हमने उनका एक सैनिक मारा तो खत्म कर दी वार्ता’

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नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान शांति वार्ता रद्द किए जाने को लेकर तालिबान ने कहा है, ‘अमेरिका ने हमारे हजारों लड़ाके मारे, हमने उनका एक सैनिक मार दिया तो वार्ता खत्म कर दी।’ इस पूरे मसले पर तालिबान प्रवक्ता ने एक साक्षात्कार में खुलकर बात की। तालिबान के अनुसार, ‘अफगानिस्तान में जंग का खात्मा अमेरिका और तालिबान दोनों के हित में है।’

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मालूम हो कि छह सितंबर को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हमला कर एक अमेरिकी सैनिक और 11 अन्य लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में तालिबान संग चल रही शांति वार्ता को खत्म करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद जैसी की तालिबान ने चेतावनी दी थी, उसने अमेरिकी सैनिकों पर हमले तेज कर दिए हैं। ऐसे में अमेरिका के लिए तालिबान से सेना की वापसी और कठिन हो गई है।

वार्ता खत्म हुई, संघर्ष विराम नहीं हुआ

एक तरफ तालिबान लगातार अमेरिकी सैनिकों को निशाना बना रहा है और दूसरी तरफ उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत दोबारा शुरू करने को कहा है। तालिबान के मुख्य वार्ताकार शेर मोहम्मद अब्बास ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में अमेरिका के लिए कहा है, ‘वो कहते हैं कि उन्होंने हजारों तालिबान लड़ाकों को मारा है। इस दौरान एक अमेरिकी सैनिक मारा जाता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो इस तरह प्रतिक्रिया देंगे। क्योंकि दोनों पक्षों की ओर से कोई संघर्ष विराम हुआ ही नहीं है।’

बातचीत के दरवाजे अब भी खुले हैं

तालिबान के मुख्य वार्ताकार ने कहा कि अफगानिस्तान में जंग का खात्मा अमेरिका और तालिबान दोनों के हित में है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को दोबारा शांति बहाली के लिए वार्ता शुरू करनी चाहिए। तालिबान, अमेरिका संग शांति वार्ता करने के लिए अभी भी तैयार है, क्योंकि बातचीत से ही शांति का रास्ता निकाला जा सकता है। तालिबानी वार्ताकार ने कहा, ‘हमारी ओर से समझौता वार्ता के लिए दरवाजें खुले हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका भी शांति वार्ता खत्म करने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करेगा।’

18 साल से जारी है संघर्ष

मालूम हो कि अफगानिस्तान में अमेरिका और तालिबान के बीच 18 वर्षों से संघर्ष चल रहा है। सितंबर महीने की शुरूआत में ऐसा लग रहा था कि अमेरिका, तालिबान संग वार्ता कर किसी निर्णायक स्थिति में पहुंचने वाला है। दोनों के बीच समझौते के लिए आठ सितंबर को अहम वार्ता होनी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वार्ता के लिए तालिबान नेताओं और अफगानिस्तानी राष्ट्रपति अशरफ गनी को कैंप डेबिड आने का न्यौता दिया था। इससे ठीक एक दिन पहले सात सितंबर को ट्रंप ने शांति वार्ता खत्म करने का ऐलान कर दिया था। इसकी वजह छह सितंबर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबानी हमले में मारा गया एक अमेरिकी सैनिक और 11 अन्य लोग थे। इस हमले से नाराज होकर ही ट्रंप ने वार्ता खत्म की थी।

वार्ता खत्म करने पर ट्रंप ने कहा था

अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। छह सितंबर को हुए हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान संग शांति वार्ता खत्म करने के ऐलान के साथ कहा था, ‘बातीचत के दौरान तालिबान यदि संघर्ष विराम के लिए राजी नहीं होता है तो इसका मतलब है कि तालिबान में संभवतः बातचीत करने की ताकत ही नहीं है।’ वहीं तालिबान का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है।

अफगानिस्तान से US की सैन्य वापसी

अमेरिका के मुख्य वार्ताकार रहे खलीलजाद ने दो सप्ताह पूर्व एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि US 20 हफ्ते में 5400 अमेरिकी सैनिकों को अफागनिस्तान से वापस बुलाना चाहता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार अफगानिस्तान से सेना की वापसी को लेकर बयान दे चुके हैं। हालांकि, अफगानिस्तान सरकार ऐसा नहीं चाहती है, क्योंकि अमेरिकी सैनिकों की वापसी से तालिबान और मजबूत होगा।

अफगान सरकार से बात नहीं करना चाहता तालिबान

अफगानिस्तान में शांति वार्ता के बीच एक बड़ा रोड़ा ये भी है कि तालिबान वहां की सरकार से सीथे बातचीत नहीं करना चाहता है। दरअसल, तालिबान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की सत्ता की सरकार को स्वीकार नहीं करता है। यही वजह है कि तालिबान अफगानिस्तान सरकार से सीधे बातचीत करने से पहले ही इंकार कर चुका है।

अगस्त में मारे गए 2307 लोग

अफगानिस्तान में पिछले करीब डेढ़-दो माह से हिंसा चरम पर है। अकेले अगस्त महीने में अफगानिस्तान में कुल 611 हमले हुए, जिसमें कुल 2307 लोगों की मौत हुई और 1948 लोग घाय हुए थे। सबसे ज्यादा 162 लोग, 27 अगस्त 2019 को हुए एक हवाई हमले में मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर तालिबान लड़ाके थे। आगे इस तरह के हमले और तेज होने वाले हैं। दरअसल, अफगानिस्तान में इसी माह के अंत में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। माना जा रहा है कि तालिबान इससे पहले यहां हमले और तेज कर सकता है।

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