जयपुर। Serial Blast Case : 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट केस में अजमेर की टाडा कोर्ट ने आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। साथ ही मामले में इरफान और हमीदुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। टुंडा के खिलाफ कोई डायरेक्ट एवीडेंस नहीं मिला है। इसलिए उन्हें बरी कर दिया।
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बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में लखनऊ, कोटा, हैदराबाद, सूरत, कानपुर और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इन्हीं ब्लास्ट में करीम टुंडा आरोपी था।
सभी धाराओं और अधिनियम से टुंडा बरी
वकील शफकत सुल्तानी ने कहा कि अब्दुल करीम टुंडा (Serial Blast Case) निर्दोष है, आज कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। अब्दुल करीम टुंडा को सभी धाराओं और सभी अधिनियमों से बरी कर दिया गया है। सीबीआई अभियोजन टाडा, आईपीसी, रेलवे अधिनियम, शस्त्र अधिनियम या विस्फोटक पदार्थ अधिनियम में अदालत के समक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। हम शुरू से कह रहे थे कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष हैं…इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी ठहराया गया है और जल्द ही उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
पूर्व में हुई मामले की सुनवाई में सीबीआई की ओर से न्यायालय में तर्क दिया गया था कि बम धमाकों का मास्टरमाइंड टुंडा था। उसने अन्य आतंकियों को बम बनाना सिखाया था। वहीं टुंडा के वकील का तर्क था कि वह निर्दोष है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद से अब तक सीबीआई ने टुंडा के खिलाफ अलग से कोई चार्जशीट पेश नहीं की है। जबकि पहले जो भी आरोपित गिरफ्तार हुए थे उनके खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। उसको गिरफ्तार करने वाले अफसर भी न्यायालय में पेश नहीं हुए।
इरफान के वकील अब्दुल रशीद ने बताया कि टाडा कानून की विभिन्न धाराएं लगाई गई थी। मामले में प्रॉसिक्यूशन की तरफ से 430 गवाह पेश किए गए थे।
17 लोगों को सुनाई गई थी सजा (Serial Blast Case)
20 साल पहले 28 फरवरी, 2004 को टाडा न्यायालय ने ही मामले में 16 आरोपितों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इनमें से एक आरोपित जमाल अल्वी की जयपुर जेल में मौत हो गई और दो आरोपित निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल फरार हैं। बचे हुए 9 आरोपित जेल में बंद हैं। जेल में बंद आरोपितों में से तीन टुंडा, इरफान और हमीरूद्दीन के मामले पर बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया गया। इनमें टुंडा को बरी करने के साथ ही इरफान और हमीरूद्दीन को दोषी माना गया है।
CBI के वकील ने क्या कहा?
अजमेर में मीडिया से बात करते हुए सीबीआई के वकील भवानी सिंह ने कहा, 1993 में बाबरी विध्वंस की बरसी पर आतंकियों ने एक्सप्रेस ट्रेनों में बम धमाके किए थे। पहले कुछ आरोपितों को न्यायालय ने सजा सुनाई थी। उन्होंने कहा, इस मामले में इतना समय लगने का कारण यह रहा कि कुछ गवाह तो बीमार थे, कुछ विदेश चले गए और कुछ की मौत हो गई थी।
देश में अजमेर, मुंबई और श्रीनगर में टाडा न्यायालय हैं। उत्तर भारत के अधिकांश मामलों की सुनवाई अजमेर में होती है। सिलसिलेवार बम धमाकों के सभी मामलों को सीबीआई ने साल 1994 में एक साथ क्लब कर अजमेर स्थित टाडा न्यायालय में भेज दिया था। तब से तीनों आरोपित अजमेर जेल में बंद हैं। टाडा का मतलब आतंकवादी विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम)अधिनियम है।
टुंडा ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से लिया था प्रशिक्षण
उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के पिलखुवा कस्बे का निवासी टुंडा ने 80 के दशक में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद वह लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आया था। यह माना गया था कि सिलसिलेवार बम धमाकों के समय टुंडा लश्कर का विस्फोटक विशेषज्ञ था। हालांकि आज उसे बरी कर दिया गया।
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