दिल्ली और एनसीआर की आबोहवा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी पराली अब खेतों में नहीं जलेगी। हालांकि इससे पहले सरकार की तरफ से किसानों को इसे खत्म करने के भरपूर विकल्प दिए जाएंगे। इनमें एक पराली को प्रेस मशीन से गांठ के रुप में तब्दील कर पावर प्लांट को बेचा जाएगा, जबकि दूसरे विकल्प के रुप में इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खेतों में ही नष्ट कर दिया जाएगा।
सरकार ने पराली को लेकर यह सक्रियता उस समय दिखाई है, जब पीएमओ ने इस समस्या से निपटने के लिए पर्यावरण और कृषि मंत्रालय को छह महीने का समय दिया है। इसे लेकर गठित उच्च स्तरीय कमेटी की एक उपसमिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट दी है। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट को लेकर पीएमओ की देखरेख में गठित उच्च स्तरीय कमेटी शनिवार को इस पर चर्चा करेगी। इसमें रिपोर्ट के सुझावों को अंतिम रुप दिया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो पराली को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने के लिए किसानों को इस दौरान जो बड़ी राहत दी जा सकती है, उनमें पराली को खेतों से उठाने का काम पावर प्लांट अपने खर्च से कर सकते है। वैसे भी इसे लेकर जो तर्क दिए जा रहे हैं, वह यह है कि जब पावर प्लांट कोयले और उसकी ढुलाई की खर्च अदा कर सकतें है, तो फिर वह पराली को किसानों के खेतों से उठाने को खर्च भी उठा सकते हैं।
इसके अलावा किसानों को जो एक और विकल्प दिया जा सकता है, उनमें उन्हें एक ऐसा हार्वेस्टर दिया जा सकता है, जो खेतों की जुताई के साथ ही पराली को खेतों में छोटे-छोटे टुकड़ों में तब्दील करके नष्ट कर देगा। फिलहाल इस हार्वेस्टर को तैयार कर लिया गया है। इस पर ट्रायल भी शुरु हो चुका है। औद्योगिक उत्पादन की मंजूरी मिलना बाकी है।
पंजाब और हरियाणा में पराली की समस्या ज्यादा
गौरतलब है कि पराली की यह समस्या पंजाब और हरियाणा में ज्यादा है। यहां इसे खेतों में ही जला दिया जाता है। हालांकि इस पर रोक है, लेकिन इसे खेतों में जलाने की प्रथा बंद नहीं हो रही है। पिछले दिनों पराली के जलाने की घटनाओं के चलते दिल्ली का दम फूल गया था। लोगों को सांस लेने सहित आंखों में जलन जैसी समस्या से जूझना पड़ा था।