नई दिल्ली। हमारे देश में सोना एक ऐसी कीमती धातु है जो आधा तोला ही सही, लेकिन करीब-करीब हर घर में मिल ही जाती है। हमारा देश दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। यहां सालाना 800 से 900 टन सोने की डिमांड रहती है। यह सोने के साथ एक अहम जुड़ाव ही है, कि हमारे देश में लोग सोने को इन्वेस्टमेंट के लिए एक अच्छा विकल्प समझते हैं। सोना निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प है या नहीं, यह बहस का विषय है। अलग-अलग एक्सपर्ट्स की इस मामले में भिन्न-भिन्न राय है। लेकिन सच यह है कि साल 2019 में सोने ने करीब 22 फीसद रिटर्न दिया है, जो कि बेहतरीन है। आइए जानते हैं कि 2019 की तरह क्या इस साल भी सोना बेहतरीन रिटर्न देने वाला है या नहीं।
साल 2019 कारोबार की दृष्टि से सुस्ती और अनिश्चितताओं का साल रहा था। पिछले साल में यूएस-चाइन ट्रेड वॉर से पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित रही। दुनिया के कई देशों की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारिक अनिश्चितताओं के चलते सोना निवेशकों के लिए सेफ हैवन बना और इसके फलस्वरूप सोने ने बंपर रिटर्न दिया। भले ही साल बदल गया हो, लेकिन कारोबारिक दृष्टि से जो परिस्थितियां पिछले साल थीं, उनमें से कुछ 2020 में भी जस की तस बनी हुई हैं। साथ ही कुछ ऐसी नई परिस्थितियां भी इस साल देखी जा रही हैं, जो वैश्विक कारोबार के लिए बुरा और सोने के लिहाज से अच्छा संकेत दे रही हैं। आइए जानते हैं कि वे क्या हैं।
1. साल की शुरुआत में ही कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। इससे खास तौर से चीनी अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ा है। चीन में कमोडिटी का आयात-निर्यात ठप पड़ गया है। कोरोना वायरस से उत्पन्न हुई कारोबारी अनिश्चितता का सीधा असर सोने की कीमतों में तेजी के रूप में देखने को मिल रहा है।
2. साल 2020 वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बढ़िया नहीं रहने वाला है। आईएमएफ ने इस साल ग्लोबल स्लोडाउन रहने की बात कही है। ऐसी परिस्थिति में सोना निवेशकों के लिए सेफ हैवन के रूप में और मजबूत होगा।
3. दुनिया के कई हिस्सों में ट्रेड वॉर जनित इकोनॉमिक स्लोडाउन और सुस्ती का ड़र अब भी बना हुआ है, जो कि सोने की कीमतों को सपोर्ट करेगा।
4. दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा इस साल भी सोने की अच्छी खरीद की जा रही है, जिससे सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
5. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रमुख ब्याज दरों को और कम करने के संकेत दिये हैं। इस तरह सेंट्रल बैंकों द्वारा ब्याज दरों को कम करने की मौद्रिक नीति से भी सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
6. अमेरिका का चीन के बाद अब ब्राजील और अर्जेंटीना के साथ भी ट्रेड वॉर शुरू हो गया है, जिससे कारोबारी अनिश्चितताएं पैदा होंगी और सोने की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।
7. हांगकांग में अस्थिरता, मध्य एशिया में तनाव और चीन में कोरोना वायरस जैसे भू-राजनीतिक खतरों के चलते सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
8. इक्विटी बाजार में पिछले साल काफी उछाल देखने को मिला था, इक्विटी बाजारों के उच्च स्तर को देखते हुए निवेशक इसमें और निवेश करने से ड़र रहे हैं, जिससे उनका रुख सोने की तरफ हो सकता है।
9. प्रॉपर्टी मार्केट में पिछले साल भारी सुस्ती देखने को मिली थी, जिसमें इस साल भी कोई सुधार नहीं हुआ है, इससे निवेशकों का सोने में आकर्षण बना रहेगा।
10. शादी के सीजन के चलते डिमांड बढ़ने के आसार हैं, जिससे घरेलू स्तर पर सोने की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।
इस साल यह रहेगा सोने का भाव
केडिया एडवाइजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर और रिसर्च हेड अजय केडिया के अनुसार, उक्त कारणों के चलते इस साल की पहली छमाही में वैश्विक स्तर पर सोने का भाव 1650 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। वहीं, घरेलू स्तर पर सोना 42,500 रुपये से 42,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच रह सकता है। केडिया ने बताया कि पिछले साल सोने ने करीब 22 फीसद रिटर्न दिया था। उन्होंने बताया कि इस साल सोने से रिटर्न 12-15 फीसद के बीच रह सकता है, जो काफी बढ़िया है।
लॉन्ग टर्म के लिए अच्छा है सोने में निवेश
इन्वेस्टमेंट में जो सबसे अहम बात है, वह यह है कि यह आपको हमेशा प्लान बनाकर करना चाहिए। सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर सीए हर्ष रूंगटा का कहना है कि निवेशक को अपनी जरूरत के हिसाब से यह तय करना चाहिए कि उसके एसेट अलोकेशन में कितना फीसद सोने में जाए। उनका कहना है कि सोने में SIP से इन्वेस्ट करना चाहिए। हर्ष का कहना है कि सोने में यह देखकर निवेश नहीं करना चाहिए कि पिछले साल इसने कितना रिटर्न दिया, क्योंकि शॉर्ट टर्म में इसमें फायदा और नुकसान दोनों हो सकते हैं। रूंगटा के अनुसार, निवेशक को अपनी सोशियल नीड देखते हुए लॉन्ग टर्म के लिए सोने में निवेश का सोचना चाहिए।