नोटबंदी के बाद काले धन को पूर्वोत्तर भेजकर ऐसे किया जा रहा है सफेद

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दो लाख करोड़ आय की घोषणा
दो लाख करोड़ आय की घोषणा

8 नवंबर से लागू हुई नोटबंदी ने काला धन रखने वालों की नींदें उड़ा दी हैं. मोदी सरकार के इस फैसले के बाद उन लोगों के होश फाख्ता हो गए जिनके पास बड़ी मात्रा में काला धन है. ऐसे लोग अपने काले धन को सफेद करने के लिए कानून में मौजूद हर तरह की छूट का गलत इस्तेमाल करने से नहीं कतरा रहे.

इन्हीं में से एक है देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पैसे भेजकर काले धन को सफेद बनाने का गोरखधंधा. हाल ही में हरियाणा से नागालैंड पैसे भेजे जाने का एक मामला सामने आया जिसके बाद ये खुलासा हुआ.

एक अंग्रेजी अखबार  के मुताबिक भारत के आयकर कानूनों के मुताबिक आय की कई श्रेणियों और समाज के कुछ वर्गों को टैक्स से छूट दी गई है. नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम की अनुसूचित जनजाति के लोगों को आयकर टैक्स देने से छूट मिली हुई है.

असम के नॉर्थ कचार हिल्स और मिकिर हिल्स, मेघालय के खासी हिल्स, गारो हिल्स और जयंतिया हिल्स, जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में बसने वाली अनुसूचित जनजातियों को इनकम टैक्स से छूट मिली हुई है.

इन्हें किसी भी स्रोत से हुई आय या कहीं से भी सिक्यॉरिटीज पर ब्याज के रूप में होने वाली आय पर टैक्स अदा नहीं करना पड़ता है.ऐसी ही छूट सिक्किम वासियों को भी मिली हुई है. इस छूट का मकसद पिछड़े क्षेत्र और समुदायों के बीच वित्तीय असमानता को दूर करना है.

लेकिन, नोटबंदी के बाद लोग काले धन को सफेद करने के लिए इसका गलत इस्तेमाल करने लगे हैं.खेती से होने वाली आय भी टैक्स फ्री है. खेती से होने वाली आय में कृषि भूमि के लिए प्राप्त किराया या रेवेन्यू शामिल है.

इसके अलावा कई संस्थानों को भी आईटी एक्ट के तहत छूट दी गई है. जैसे की खादी और ग्राम उद्योगों के विकास के लिए स्थापित पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट और नॉट फॉर प्रॉफिट सोसायटी को इनकम टैक्स से छूट है.

इसी तरह शैक्षणिक संस्थानों और यूनिवर्सिटियों को भी आईटी एक्ट के तहत इनकम टैक्स में छूट है. नॉट फॉर प्रॉफिट अस्पताल भी छूट के दायरे में आते हैं.

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