कश्मीर घाटी के बारामूला में आतंकियों के अड्डों से चीनी झंडे बरामद

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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (हि.स.)। कश्मीर घाटी में पिछले लगभग तीन दशक के आतंकवाद में पहली बार दक्षिण कश्मीर के बारामुल्ला में आतंकवादियों के अड्डों से चीनी झंडे मिले हैं जिसने सुरक्षा बलों की नींद उड़ा दी है।आतंकवादियों के अड्डों से पाकिस्तानी झंडे मिलना तो साधारण सी बात है। समय समय पर इस्लामिक स्टेट (आईएस) के झंडे भी मिले हैंI परंतु यह संभवतः पहली बार है कि घाटी में चीनी झंडे मिले हैंI इससे सुरक्षा एजेंसियां काफी सतर्क हो गयी हैं।

कश्मीर में पिछले 103 दिनों से अलगाववादियों द्वारा आयोजित बंद है और घाटी में अनेक संवेदनशील स्थानों पर कर्फ्यू लगा है। सूत्रों ने बताया चीनी झंडों के साथ कुछ संवेदनशील सामग्री भी मिली है। लगभग 40 आतंकियों को पिछले कुछ दिनों के भीतर हिरासत में लिया गया हैI सूत्रों ने बताया 12 घंटों के भीतर लगभग 500 घरों में तलाशी ली गयी।

सूत्रों ने बताया इन छापों में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के लेटरहेड, अनाधिकृत मोबाइल फोन और राष्ट्र विरोधी प्रचार सामग्री जब्त कर लिया गयाI यह ऑपरेशन संयुक्त रूप से सेना, राज्य की पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ की टीमों द्वारा किया गया।

उल्लेखनीय है बारामुल्ला उरी से कुछ ही किलोमीटर दूर हैI उरी में आतंकियों ने  भारतीय सेना के एक शिविर पर हमला किया था जिसमें 19 सैनिक मारे गए थे. सुरक्षा बलों ने पुरे इलाक़े को घेरे में लिया और अनेक आतंकी अड्डे ध्वस्त कर दिए।

कुछ दिन पूर्व ही गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सभी ब्रिक्स सदस्य देशों ने आतंकवाद की घोर भर्त्सना की थीI एक ओर तो ब्रिक्स के सदस्य देश चीन ने आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की थी, दूसरी ओर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीजिंग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समाप्त होने के कुछ ही देर बाद आतंकवाद पर भारत की चिंता को अनदेखा कर दिया था और कहा था कि आतंकवाद को किसी भी देश या समुदाय के साथ नहीं जोड़ना चाहिएI प्रवक्ता का संकेत साफ था कि पाकिस्तान को इसके साथ न जोड़ा जाये। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरुध्द लड़ाई लड़ रहा है।

पाकिस्तान चीन का एक लंबी अवधि का सहयोगी है और दोनों देशों के बीच सामरिक और आर्थिक संबंध हैं। पाकिस्तान चीन की सहायता से 46 बिलियन डॉलर की लागत से एक आर्थिक कॉरिडोर बना रहा है जो पच्छिमी चीन को ग्वादार बंदरगाह से मिलाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार

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