Chandrayaan-3 Mission : Shiv Shakti Point के नजदीक घूम रहा Rover Pragyan

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नई दिल्ली। Chandrayaan-3 Mission चंद्रयान 3 की सफलता के बाद विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर चांद की जानकारियों को एकत्र करके लगातार इसरो के वैज्ञानिकों तक भेज रहे हैं। वहीं, इसरो सारी जानकारी दुनिया से साझा कर रहा है। 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम लैंडर की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग हुई थी। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकला और अपने काम में जुट गया है।

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अब तक रोवर ने चांद पर क्या कुछ किया?

इसरो ने 25 अगस्त को एक अपने X (ट्विटर) हैंडल के जरिए एक वीडियो क्लिप जारी किया, जिसे विक्रम लैंडर पर लगे इमेजर कैमरे से कैप्चर किया गया। वीडियो में देखा गया कि रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर पहुंच गया और उसने चांद की सतह पर चलने की शुरुआत कर दी।

इसी दिन इसरो ने ये भी जानकारी दी कि चंद्रमा पर रोवर प्रज्ञान (Pragyan Rover) ने 8 मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है। रोवर से जुड़े पेलोड LIBS और APXS चालू हैं और सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। इसरो ने जानकारी दी कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर पर लगे सभी पेलोड शानदार ढंग से काम कर रहे हैं ।

चांद की सतह के तापमान ने वैज्ञानिकों को किया हैरान (Chandrayaan-3 Mission)

इसके बाद इसरो ने 27 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के तापमान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी दुनिया से साझा की है। इसरो के मुताबिक, चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) ने चांद की सतह के तापमान का पता लगाने के लिए दक्षिणी ध्रुव के इर्द-गिर्द चांद की ऊपरी मिट्टी का तापमान मापा है।

इसरो ने जानकारी दी कि विक्रम लैंडर के चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह के तापमान को समझने के लिए चेस्ट ने ध्रुव की चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का तापमान मापा है।

इसरो ने कहा,”हमें अब तक उम्मीद थी कि सतह का तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन सतह का तापमान तो 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। सतह का तापमान हमारी अपेक्षा से काफी अधिक है।

वैज्ञानिकों ने ग्राफ के जरिए क्या समझाया?

इसरो ने एक ग्राफ भी दुनिया से साझा किया है। इस ग्राफ को इसरो के वैज्ञानिक, दारुकेशा ने समझाते हुए कहा कि जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं तो हमें दो से तीन सेंटीग्रेड का अंतर दिखता है।वहीं, चंद्रमा की सतह से दो से तीन सेंटीमीटर अंदर जाने पर लगभग 50 सेंटीग्रेड का अंतर का पता चला है। पेलोड की जानकारी के अनुसार, चांद की सतह से नीचे 80 मिलीमीटर की गहराई पर जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री (-10 डिग्री) तक गिर जाता है।

चेस्ट पेलोड में लगी मशीन में तापमान मापने के लिए 10 सेंसर लगे हुए हैं। यह मशीन कंट्रोल एंट्री सिस्टम की मदद से सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।

‘शिव शक्ति’ प्वाइंट का पीएम मोदी ने बताया मतलब (Chandrayaan-3 Mission)

कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने यह एलान किया कि विक्रम लैंडर ने जिस जगह पर लैंडिंग की है उसे शिव शक्ति प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य है।

अब इन उपकरणों की बारी

चेस्ट यानी चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट ने जानकारी दी है। अब बारी इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेस्मिक एक्टिवटी यानी आईएलएसए (ILSA) उपकरण की बारी है। यह उपकरण लैंडिंग साइट की आसपास भूकंप की गतिविधि का पता लगाएगा।

अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) उपकरण चांद की सतह पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों की जानकारी जुटाएगा।

लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्टोस्कोप (LIBS) उपकरण चांद पर मौजूद रासायनिक पदार्थ और खनिज की पहचान और अन्य जानकारी एकत्र करेगा।

दुनिया इंतजार कर रही है कि चंद्रयान 3 जल्द से जल्द चांद की नई और दुर्लभ जानकारी इसरो के वैज्ञानिकों तक पहुंचे और वैज्ञानिक दुनिया से चांद के अनसुलझे राज से पर्दा उठाएं।

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