Chandrashekhar Guruji Murder: कर्नाटक में वास्तुकार चंद्रशेखर ‘गुरुजी’ की हत्या

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हुबली। Chandrashekhar Guruji Murder:  कर्नाटक के हुबली के एक होटल में ‘सरल वास्तु’ के नाम से चर्चित चंद्रशेखर अंगड़ी उर्फ चंद्रशेखर गुरुजी की मंगलवार को एक होटल में चाकू मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी के फुटेज में दो लोगों को होटल के रिसेप्‍शन एरिया में बार-बार चाकू मारते हुए दिखाया गया है। पुलिस ने हत्यारों की तलाश के लिए सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। घटना की जानकारी मिलते ही हुबली के पुलिस आयुक्त लभु राम मौके पर पहुंचे। पुलिस ने आशंका जताई है कि चंद्रशेखर गुरुजी हुबली के प्रेसिडेंट होटल में कारोबार के सिलसिले में किसी से मुलाकात करने आए थे। हत्या की पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। फुटेज के आधार पर पुलिस हत्यारों की तलाश में जुट गई है।

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बागलकोट के रहने वाले गुरुजी ने एक ठेकेदार के रूप में अपना करियर शुरू किया था

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि बागलकोट के रहने वाले गुरुजी ने एक ठेकेदार के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में उन्हें मुंबई में नौकरी मिल गई, जहां वे बस गए। उन्होंने कहा कि बाद में उन्होंने वहां वास्तु व्यवसाय किया। तीन दिन पहले उनके परिवार के एक बच्चे की हुबली में मौत हो गई थी, जिसके लिए वह यहां एक शोक सभा में शामिल होने आए थे।

हुबली के पुलिस आयुक्त लभु राम ने बताया कि कुछ लोगों ने गुरुजी को होटल के लाबी एरिया में बुलाया, जहां वह ठहरे हुए थे। इस दौरान उनमें से एक शख्‍स ने उन्‍हें अभिवादन किया और फिर उन्‍हें अचानक चाकू घोंप दिया। चाकू के कई वार से गुरु जी बुरी तरह से घायल हो गए। उन्‍हें तुरंत पास के अस्‍पताल ले जाया गया, तब तक उन‍की मौत हो चुकी थी। उनके पार्थिव शरीर को केआईएमएस अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपितों की तलाश शुरू कर दी है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गुरुजी की हत्‍या (Chandrashekhar Guruji Murder) पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि चंद्रशेखर गुरुजी की हत्या जघन्य अपराध है। यह घटना दिन के उजाले में हुई। दोषियों को पकड़ने के लिए मैंने पुलिस आयुक्त लभुराम से बात की है। पुलिस पहले से ही इस पर तेजी से मामले की जांच कर रही है।

इंजीनियरिंग के बाद शुरू की थी ठेकेदारी

‘सरल वास्तु’ के नाम से देश भर में मशहूर चंद्रशेखर गुरुजी 14 साल की उम्र में सेना में शामिल होने की कोशिश की। हालांकि सेना मे सलेक्‍शन नहीं हुआ तो उन्होंने बेहतर शिक्षा के लिए लक्ष्य बनाए रखा। बागलकोट से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, उन्होंने मुंबई में एक ठेकेदार के रूप में अपने करियर की शुरूआत की।

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