अहसान माता पूरी करती हैं सभी की मनोकामनाएं

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किसी जमाने में एक राजा था, जो शिकार खेलने जा रहा था। रास्ते में उसको अहसान माता की पूजा करती हुई महिलाएं मिलीं। राजा ने महिलाओं से पानी पिलाने की इच्छा व्यक्त की। इनमें से एक महिला राजा को पानी पिलाने के लिए पूजा छोड़कर उठने लगी। तभी अन्य महिलाओं ने उससे कहा कि पूजा को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। इस पर उस महिला का जवाब था कि अगर हमने राजा को पानी नहीं पिलाया तो वह नाराज हो जाएगा।

अन्य महिलाओं ने उससे कहा कि राजा नाराज हो गया तो हमारा क्या कर लेगा, लेकिन हम पूजा बीच में छोड़कर उसको पानी नहीं पिलाएंगे। इस पर राजा हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। महिलाओं ने पूजा संपन्न की और फिर राजा को पानी पिलाया। राजा ने महिलाओं से पूछा कि आप लोग किस देवी की पूजा कर रहे थे। महिलाओं ने राजा को बताया कि वे लोग निसंतान को संतान देने वाली अहसान माता की पूजा कर रहे थे। माता सबकी मनोकामना पूरी करती हैं।

राजा ने महिलाओं से कहा कि मेरी कोई संतान नहीं है। क्या अहसान माता की पूजा अर्चना करने से मुझे संतान की प्राप्ति होगी। महिलाओं ने कहा कि आप माता की पूजा करें। आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। राजा ने महिलाओं से पूजा की विधि को जाना। महिलाओं ने बताया कि अहसान माता को गुड़, चना और मुरमुरे का प्रसाद प्रिय है। आप सात सुहागनों को अपने घर पर आदरपूर्वक आमंत्रित करना। अहसान माता की विधिपूर्वक पूजा करना तथा गुड़, चना और मुरमुरे का प्रसाद महिलाओं को खिलाना।

राजमहल लौटने पर राजा ने रानी को पूरी बात बताई और कहा कि अगर हमें संतान की प्राप्ति होती है तो अहसान माता की पूजा अर्चना करेंगे। राजा की मनोकामना पूर्ण हो गई और उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। रानी से राजा से कहा कि अहसान माता की पूजा करनी है। राजा ने जवाब दिया कि बेटे के मुंडन संस्कार के समय माता की पूजा करेंगे। मुंडन संस्कार के समय भी राजा ने अहसान माता की पूजा अर्चना नहीं की। राजा ने कहा कि बेटे की शादी के समय ही माता की पूजा करेंगे।

बेटे की शादी के समय भी राजा ने अहसान माता की पूजा नहीं की और रानी से कहा कि बहू के राजमहल में आने पर पूजा करेंगे। राजा अपने बेटे की बारात लेकर उसकी ससुराल की ओर चले। रास्ते में राजा को एक बुजुर्ग महिला के रूप में अहसान माता मिलीं। बुजुर्ग महिला ने राजा से कहा कि मुझे चना, गुड़ का प्रसाद ला दो। मेरे घर पर सात सुहागनें प्रसाद के इंतजार में बैठी हैं। राजा ने जवाब दिया कि प्रसाद लाने में समय लगेगा। अभी मैं अपने बेटे की बारात लेकर जा रहा हूं। थोड़ी देर में राजा का बेटा मूर्छित हो गया। राजा परेशान हो गया था।

वहीं सामने से कुछ लोग शवयात्रा लेकर श्मशान जा रहे थे। बुजुर्ग महिला के वेश में अहसान माता ने शव लेकर जा रहे लोगों से कहा कि मुझे गुड़, चना का प्रसाद लाकर दे दो। मेरे घर पर सुहागनें प्रसाद का इंतजार कर रही हैं। इस पर शव लेकर जा रहे लोगों ने बुजुर्ग महिला की बात मान ली और शव को वहीं रखकर प्रसाद लाकर दे दिया। बुजुर्ग महिला को प्रसाद देते ही शव में जान आ गई और मृत व्यक्ति जीवित हो उठा। सभी लोग बुजुर्ग महिला के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। ये लोग खुश होकर वापस अपने गांव की ओर लौट गए।

दूसरी तरफ, राजा अपने मूर्छित बेटे को लेकर अपने महल की ओर लौट रहा था। उसने खुश होकर लौटते हुए लोगों से पूछा कि अभी तो आप शव लेकर जा रहे थे। अचानक ऐसा क्या हुआ कि हंसते हुए लौट रहे हो। इस पर उन लोगों ने राजा को सारी बात बता दी। उन्होंने राजा से कहा कि बुजुर्ग महिला को प्रसाद लाकर देते ही मृत व्यक्ति जीवित हो गया था। राजा को पूरी बात समझते देर नहीं लगी।

वह तुरंत बुजुर्ग महिला के पास पहुंचा और माफी मांगते हुए कहा कि माता हम मूर्ख हैं, अज्ञानी हैं, आपको पहचान नहीं सके। हम बहू को घर लाकर विधि विधान से आपकी पूजा करेंगे। इस पर माता को राजा पर दया आ गई औऱ उन्होंने उसको माफ कर दिया। माता ने कहा कि घर जाकर भूल मत जाना। राजा का बेटा होश में आ गया। राजा ने उसकी शादी कराई और बहू को लेकर महल लौटा।

महल लौटने पर रानी ने राजा को याद दिलाया कि माता की पूजा करनी है। राजा ने फिर कह दिया कि अभी नहीं, पौत्र के जन्म पर पूजा अवश्य करेंगे। पौत्र के जन्म पर भी राजा ने अहसान माता की पूजा नहीं की। इस पर अहसान माता ने राजा की पुत्रवधु को सपने में दर्शन दिए। पुत्रवधु ने अपनी सास को सपने की पूरी बात बताई। रानी ने कहा कि राजा बार-बार वादा करके भी माता की पूजा नहीं कर रहे।

धीरे-धीरे राजा की संपत्ति खत्म होने लगी। उनके बाग, कुएं और तालाब सूखने लगे। राजा काफी परेशान हो गया। राजा ने निश्चय किया कि अब तो अहसान माता की पूजा जरूर करेगा। राजा ने अहसान माता की पूजा की। पूजा में सात की जगह 14 महिलाओं को प्रसाद ग्रहण कराया। इससे अहसान माता प्रसन्न हो गईं और राजा को समृद्धि और हमेशा प्रसन्न रहने का आशीर्वाद दिया।

पूजा सामग्रीः पान का शुद्ध पत्ता-1, सुपारी-1, लौंग-4,कपूर- एक पैकेट, धूपबत्ती,शुद्ध देशी घी ( जरूरत के अनुसार)

प्रसाद सामग्री (सात सुहागनों के लिए)ः सवा किलो भुना चना और मुरमुरे, आधा किलो गुड़ और आधा किलो बर्फी।

पूजा की विधिः गाय के गोबर से एक गौर व पीली मिट्टी की सात छोटी-छोटी ढेलियां बनाएं। इनको साफ थाली में रखें। साफ सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर यह थाली रख दें। थाली को फूलों से सजाएं। माता के नाम का दीप जलाकर उनका ध्यान करें। पूजा में शामिल महिलाएं गौर को सिंदूर से टीका और बिंदी लगाकर उनकी पूजा करें। इसके बाद महिलाएं प्रसाद को सात बराबर हिस्सों में बांट लें।

पूजा कराने वाली आठवीं महिला को सभी सात महिलाएं अपने पास से प्रसाद देंगी। इसके बाद प्रसाद को झोली में रखकर कथा सुनें और माता को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें। अंत में मां दुर्गा की आरती के साथ पूजा संपन्न होगी। पूजा के बाद सभी सातों महिलाएं वहीं बैठकर हाथ धोएंगी और एक साथ गौर को थाली और उसके नीचे रखे सफेद कपड़े सहित उठाकर आठवीं महिला (पूजा कराने वाली महिला) की गोद में रखेंगी। महिलाएं एक दूसरे को प्रणाम करके अपने घरों के लिए विदा होंगी।

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