नई दिल्ली: कोरोना से निपटने के लिए भले ही अभी किसी दवा को केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दिए जाने की तैयारी की जा रही है। यूं तो हर देशवासी को कोरोना से बचाव के लिए टीका लगाए जाने की योजना है, लेकिन सबसे पहले 30 करोड़ लोगों को टीका लगेगा। इसे भारत में 30 करोड़ लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और सीनियर सिटिजंस को वैक्सीन देने की तैयारी है। वैक्सीनेशन के लिए नीति आयोग की तरफ सुझाए गए प्लान के तहत चुनावों में जिस तरह पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, वैसे ही वैक्सीन बूथ बनाकर लोगों को वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी।
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दरअसल मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को इसके लिए तैयारी करने को कहा गया है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने मुख्यमंत्रियों को एक प्रजेंटेशन देते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए पोलिंग बूथ की तरह टीमों का गठन होगा और ब्लॉक लेवल पर रणनीति तैयार की जाएगी। पॉल ने कहा कि सरकारी एवं निजी डॉक्टरों को इस अभियान में विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा जनभागीदारी के लिए भी प्रयास किए जाएंगे और उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ये चार राज्य बड़ी चिंता का विषय
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने एक प्रेजेंटेशन में चार राज्यों, दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान को इसके लिए तैयारी करने को कहा है। क्योंकि पिछले एक सप्ताह में इन राज्यों हाई पॉजिटिविटी रेट और मौतों को सबसे बड़ी चिंता बताया गया हैं। प्रजेंटेशन में बताया गया कि दिल्ली में पिछले एक सप्ताह में औसतन 111 मौतें हुईं, जबकि राजस्थान, जो अब तक अच्छा प्रदर्शन कर रहा था, पिछले सप्ताह से 21% पॉजिटिव केस रिपोर्ट कर रहा था। केरल में औसत पॉजिटिविटी रेट भी 15.3% और दिल्ली में 13.5% थी, जबकि महाराष्ट्र में अभी भी पिछले एक सप्ताह में 93 से अधिक मौतें औसत रोजाना हो रहीं हैं, हालांकि यह अपने पॉजिटिविटी रेट को 8.2% तक कम करने में कामयाब रहा था। दिल्ली और महाराष्ट्र भी बड़ी चिंता का विषय थे क्योंकि यहां प्रति मिलियन 448 और 379 मौतें रिपोर्ट की जा रहीं थीं जो राष्ट्रीय औसत से लगभग चार गुना ज्यादा है।
गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों को किया आगाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोरोना को लेकर आशंका जताई है कि सर्दियों और वायु प्रदूषण के चलते उत्तर भारत में इसका खतरा और बढ़ सकता है। होम मिनिस्टर ने स्थितियों का आकलन करने को कहा है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि बारीकी से विश्लेषण करने पर पता चलेगा कि लापरवाही भी कुछ बढ़ी है और अब राहत के साथ नहीं रहा जा सकता।
‘पराली से प्रदूषण, प्रदूषण से कोरोना बढ़ा’
इससे पहले केजरीवाल ने पीएम मोदी को बताया कि दिल्ली में 10 नवंबर को 8,600 मामले सामने आए थे जो कोरोना की तीसरी पीक थी। उन्होंने कहा कि तब से नए मामले और पॉजिटिविटी रेट लगातार घट रहे हैं। दिल्ली सरकार बार-बार कह चुकी है कि प्रदूषण की वजह से दिल्ली में कोरोना बढ़ा है। एक दिन पहले, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री भी पराली जलने की वजह से बढ़े प्रदूषण को कोरोना की तीसरी लहर के पीछे वजह बता चुके हैं। सोमवार को दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार द्वारा गठित एयर क्वालिटी कमीशन के दफ्तर जाकर अपनी बात रखी थी।