नई दिल्ली, पिछले माह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी एक फैक्ट शीट से पता चलता है कि प्रत्येक वर्ष दुनिया में आत्महत्या की वजह से आठ लाख लोगों की मौत होती है। अगर इसे दूसरे शब्दों में कहें तो हर 40 सेकंड में एक आत्महत्या। एक और महत्वपूर्ण तथ्य जो अक्सर छूट जाता है वह यह है कि अपनी जान देने तक वह व्यक्ति अपने जीवन में करीब 20 बार आत्महत्या के प्रयास कर चुका होता है।
डब्ल्यूएचओ की फैक्ट शीट का चार्ट-1 क्षेत्र के हिसाब से आत्महत्या की दरों का आकलन प्रदान करता है। विश्व में आत्महत्या की वजह से मौतों की दर 10.53 (प्रति एक लाख आबादी) है। यूरोप में आत्महत्या की वजह से अधिकतम मौतें दर्ज की जाती हैं, जबकि भूमध्यसागर के पूर्व के देशों में सबसे कम मौतें दर्ज की जाती हैं।
फैक्ट शीट के चार्ट-2 में देशों के हिसाब से आत्महत्या की दरों का आकलन किया गया है। इसमें देश की आर्थिक समृद्धि, भूगोल संरचना और संसाधनों की मौजूदगी आदि को भी ध्यान में रखा गया। इस रैंक में भारत अपने जैसे ही देश इंडोनेशिया, ब्राजील और चीन से कहीं आगे है। इसके साथ ही रूस के आंकड़े औसत वैश्विक आंकड़ों से चार गुना अधिक हैं।
2016 में क्षेत्र के हिसाब से इससे होने वाली मौतें (प्रति एक लाख में)
चार्ट-1
अफ्रीका 11.96
अमेरिका 9.25
दक्षिण पूर्व एशिया 13.4
यूरोप 12.5
पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र 4.3
पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र 8.45
वैश्विक 10.53
2016 में देश के हिसाब से इससे होने वाली मौतें (प्रति एक लाख में)
चार्ट-2
अमेरिका 21.1
चीन 7.9
जापान 20.9
ब्रिटेन 11.9
रूस 48.3
दक्षिण अफ्रीका 21.7
ब्राजील 9.7
इंडोनेशिया 5.2
सऊदी अरब 4.6
पाकिस्तान 3
भारत 18.5
रिपोर्ट में बताया गया कि यद्यपि आत्महत्या हर उम्र के लोग करते हैं, लेकिन यह 15 से 29 वर्ष के बीच के लोगों की मौत का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। चार्ट-3 में पूरे विश्व में युवाओं की होने वाली मौतों के बारे में दर्शाया गया है। युवा वर्ग में युवकों में सबसे ज्यादा मौतें सड़क दुर्घटना और युवतियों की मैटरनल (मातृत्व) स्थिति की वजह से होती हैं। आत्महत्या और मानसिक विकारों के लिए अवसाद और एल्कोहल के इस्तेमाल को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने पाया है कि ज्यादातर आत्महत्याएं अचानक आए संकट से निपट न पाने और तनाव के बोझ में दबने के कारण होती हैं।