अबीर का आपरेशन करनेवाले मणिपाल हास्पिटल्स में पेडियाटिक सर्जन एंड यूरोलाजिस्ट विभाग के हेड डा. सीएन राधाकृष्णन ने बताया कि अबीर के माता-पिता तन्मय व बिजिया मंडल शांतिनिकेत, बीरभूम के रहनेवाले हैं। शादी के छह साल बाद जब अबीर गर्भ में था, उस वक्त उसकी तमाम जांच हुई थी। कोई असामान्य बात सामने नहीं आई।
सातवें महीने में ही हो गया
हालांकि अबीर का जन्म समय से पहले, सातवें महीने में ही हो गया। जब अबीर दो महीने का था उसके पिता को अबीर के पेट में एक अजीब सी सूजन दिखी। कोलकाता के एक डॉक्टर को उसके पेट में ट्यूमर का पता चला। इसके बाद अबीर को बेंगलुरू लाया गया। यहां डॉ राधाकृष्णन ने जब उसकी जांच की तो चौंक गए।
अबीर के पेट में जो ट्यूमर था वह किसी अविकसित भ्रूण की तरह मांस और हड्डियों से बना था। उन्होंने बताया कि ऐसे ट्यूमर को ट्रीटोमॉस कहते हैं। उन्होंने बताया कि इस ट्यूमर में धीरे-धीरे अंग विकसित होने लगते हैं। यह अविकिसित भ्रूण की शक्ल लेने लगता है। इसे ही फोयटस इन फोयटी (एफआइएफ) कहते हैं।
डॉ राधाकृष्णन ने बताया कि
इतना ही नहीं पेट स्थिति पेनक्रियाज व अन्य प्रमुख रक्त सिराएं इससे जुड़ जाती हैं। डॉ राधाकृष्णन ने बताया कि ट्यूमर को बड़ी सावधानी से शरीर के अंगों से अलग किया गया। आपरेशन के बाद अबीर तेजी से स्वस्थ हो रहा है। अब वह सामान्य बच्चे की तरह तेजी से वजन बढ़ा रहा है।