विधायकों की संख्या के आधार पर होने वाले राज्यसभा चुनावों में बीजेपी के पास नौवीं सीट हथियाने का विकल्प

0
election
election

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 9 खाली सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन तकरीबन तय हो गया है। इसमें बीजेपी के 8 और बीएसपी के एक उम्मीदवार शामिल हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर होने वाले राज्यसभा चुनावों में बीजेपी के पास नौवीं सीट हथियाने का भी विकल्प था। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने जनबूझकर 9वीं सीट पर अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा जबकि वह आसानी से इस सीट के लिए मतों का इंतजाम कर सकती थी।

दिन के सबसे बेहतरीन ऑफर्स और डील

राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि 9वीं सीट खाली छोड़ देना बीजेपी की एक सोची-समझी राजनीतिक चाल थी। उसने राज्यसभा की एक सीट छोड़ी नहीं है बल्कि उसने इसका ‘बलिदान’ किया है। इसे आने वाले विधान परिषद और फिर विधानसभा चुनाव में पक्ष-विपक्ष को लेकर लामबंदी से जोड़कर देखा जा सकता है। जाहिर है कि 9वीं सीट के लिए एसपी और बीएसपी दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए थे।

बीएसपी ने 10 विधायकों के प्रस्ताव से रामजी गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन इनमें से 5 विधायकों ने अचानक अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। इसके बाद वे तुरंत एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने चले गए, जिससे यह आशंका जताई गई कि समाजवादी पार्टी ने बीएसपी की राह रोकने के लिए यह चाल चली है। इसके बाद बीएसपी चीफ मायावती ने अखिलेश यादव पर जमकर भड़ास निकाली।

माया ने दावा किया कि बीएसपी अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाना चाहती थी। इसके लिए सतीश चंद्र मिश्र ने अखिलेश को कई बार फोन किया लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। उलटा जब बीएसपी ने अपना उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान किया तो उसके खिलाफ षड्यंत्र करते हुए एसपी ने अपना भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं बीएसपी के विधायकों को फोड़ने की भी कोशिश की। माया ने इसके बाद ऐलान किया कि उनकी पार्टी आने वाले एमएलसी चुनावों में एसपी को हराने के लिए कुछ भी करेगी।

बीएसपी ने तो यहां तक कह दिया है कि

समाजवादी पार्टी को हराने के लिए बीएसपी बीजेपी का भी समर्थन कर सकती है। बीजेपी के लिए अपनी 9वीं सीट का बलिदान करने का यही फायदा मिलता दिख रहा है। माना जा रहा है कि ऐसी परिस्थिति बनाने के लिए ही बीजेपी ने 9वीं सीट विपक्षी पार्टियों के लिए छोड़ दिया था, ताकि सीट को हथियाने के लिए दलों में ऐसा संघर्ष हो कि भविष्य में एक-दूसरे के समर्थन या गठबंधन की संभावना न रह जाए।

बता दें कि राज्यसभा जाने के लिए हर उम्मीदवार को 37 वोटों की दरकार है। बीजेपी के पास 304 विधायक हैं, जिनकी मदद से 8 सीटों पर आसानी से बीजेपी प्रत्याशी चुनाव जीत जाएंगे। इसके अलावा 9वीं सीट के लिए भी उसके पास सहयोगी दलों का पर्याप्त समर्थन था। अपना दल के 17 विधायकों के अलावा बीएसपी विधायक अनिल सिंह, एसपी विधायक नितिन अग्रवार और कांग्रेस विधायक राकेश सिंह भी बीजेपी की ओर झुकाव रखते हैं। इस तरह से 20 वोटों के साथ बीजेपी 9वीं सीट के लिए भी अन्य दलों से बेहतर स्थिति में है।

बीजेपी के एक नेता ने भी स्वीकार किया है कि

उनकी पार्टी के पास 9वीं सीट हासिल करने के लिए भी पर्याप्त मौका था। निर्दलीय विधायकों से भी उन्हें समर्थन मिल सकता था। लेकिन राज्य की बीजेपी इकाई ने 15 लोगों की लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व के पास राज्यसभा उम्मीदवारों के लिए भेजी थी, जिनमें से 8 के नामों पर अंतिम मुहर लगी थी।

 

LEAVE A REPLY