नई दिल्ली। भारत के चीन के साथ इन दिनों किस तरह के संबंध चल रहे हैं ये किसी से छिपा हुआ नहीं है। वैसे भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ हमेशा से ही बेहतर संबंध रहे हैं मगर चीन ने गलवन घाटी में जिस तरह की नीति अपनाई उससे दोनों देशों के बीच संबंध तल्ख हुए हैं। वो अभी तक सामान्य नहीं हो पाए हैं। म्यांमार न सिर्फ भारत का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है बल्कि सुरक्षा और कूटनीति की दृष्टि से भी यह भारतीय विदेश नीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता रहा है।
विदेश सचिव और थलसेना प्रमुख पहुंचे थे दौरे पर
इसी हफ्ते भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने एक साथ म्यांमार के दौरे पर गए थे। भारतीय विदेश नीति में ऐसा अवसर कभी कभार ही आता है जब सेना और विदेश सेवा के शीर्ष अधिकारी एक साथ किसी दूसरे देश के दौरे पर गए हो।
यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि देश के विदेश मंत्रालय और थलसेना के शीर्षाधिकारी एक साथ विदेश यात्रा पर गए हैं इसलिए यह तो साफ है कि इन दोनों अधिकारियों का कोरोना महामारी के बीच हुआ म्यांमार दौरा यूं ही नहीं हुआ है, और यह भी कि म्यांमार का भारत के सामरिक और कूटनीतिक विचार-व्यवहार में बड़ा स्थान है।
संभावनाओं से भरा रहा है दोनों का दौरा
इस यात्रा से पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन सिर्फ बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे, उस वक्त भी यात्रा के पीछे खास कूटनीतिक मकसद थे। दो दिन की अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान श्रृंगला-नरवने आंग सान सू ची, सीनियर जनरल मिन आंग-लाइ और कई मंत्रियों और अधिकारियों से मिले। सुरक्षा, आतंकवाद और अलगाववाद से लड़ने में भारत के लिए म्यांमार बहुत महत्वपूर्ण है।