भारत गलवान घाटी की घटना के बाद चीन के साथ जैसे को तैसा की रणनीति पर बढ़ रहा है आगे

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china nad india
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नई दिल्ली चीन पिछले सात महीने से भारत का नब्ज टोटल रहा है, लेकिन लगता है शायद परिस्थितियों की परखने की उसकी क्षमता ही नहीं है। ड्रैगन अब भी इसी मुगालते में है कि भारत को तो रणनीतिक महत्व के मोर्चों से पीछे हटा देगा लेकिन खुद अतिक्रमण से बाज नहीं आएगा। यही वजह है कि चीन ने सैन्य लेवल के ताजा दौर की बातचीत में डी-एस्केलेशन के लिए बिल्कुल अजीब प्रस्ताव रखा।

समझें चीन की चालाकी

सूत्रों के मुताबिक, चीन पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील स्थित फिंगर 8 से वापस जाने को तैयार है, लेकिन भारत को वह फिंगर 4 से पीछे धकेलकर फिंग 3 और फिंग 2 के बीच पहुंचाना चाहता है। चीन को पता है कि भारत अपने सैनिकों को पीछे किसी भी कीमत पर वापस नहीं ला सकता क्योंकि इसने किसी तरह का अतिक्रमण नहीं किया है। चीन के सामने स्पष्ट कर दिया जा चुका है कि भारत का इलाका फिंगर 8 तक जाता है। इसलिए, सैनिकों को पीछे फिंगर 3 पर बुलाने का तो सवाल ही नहीं उठता है।

भारत की दोटूक

दूसरी बात यह कि इस वर्ष मई महीने से पहले भारतीय सैनिकों को फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने से नहीं रोका जाता था। चीनी सैनिक तब भी फिंगर 8 पर तैनात थे, लेकिन अब वो भारतीय सैनिकों के वहां पहुंचने पर आपत्ति जता रहे हैं। इसलिए, भारत ने चीन से ही कहा कि उसे मई की स्थिति बहाल करते हुए फिंगर 8 पर पीछे जाना चाहिए। भारत ने साफ कहा है कि डीएक्सेलेशन की शुरुआत चीन की तरफ से ही होनी चाहिए और उसे ही ऐसा करना होगा।

चीन के लगातार बदले रुख के कारण अब भारत का उसपर ऐतबार भी नहीं रहा है। भारत को संदेह है कि अगर वो अपने सैनिक थोड़ा पीछे कर भी ले तो क्या चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) फिंगर 8 तक सीमित रहेगी।

पैकेज डील पर हो रही बात

अब भारत और चीन के बीच नॉर्थ बैंक – साउथ बैंक की पैकेज डील हो रही है। इसके तहत भारत ने चीन से कहा है कि दोनों देश पेंगोंग झील के क्रमशः दक्षिणी और उत्तरी छोरों से अपने-अपने सैनिक वापस बुला लें। लेकिन चीन कुछ ज्यादा ही शातिर बन रहा है। उसे स्पांगुर से लेकर रिचिन ला तक, पूरे दक्षिणी छोर के रणनीतिक स्थानों पर तैनात भारत के सैनिक तो बहुत चुभ रहे हैं, लेकिन उत्तरी छोर पर अपने सैनिकों का जमावड़ा उसे अच्छा लगता है।

दरअसल, भारत ने इसी अगस्त में पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर मोर्चेबंदी कर ली थी। इससे चीन बौखला उठा और उसके सैनिक चोरी से उन जगहों तक पहुंचने की कोशिश करने लगे जहां भारतीय सैनिक अड्डा जमाए हैं। भारतीय सैनिकों ने जब हवाई फायरिंग की तो पीएलए के सैनिक वहां से भाग खड़े हुए। ऐसा चार-चार बार हुआ।

इन हालात में चीन अपना चेहरा बचाने की कोशिश करने लगा है। लेकिन, गलवान घाटी में जो हुआ, उसके बाद भारत ने ठान लिया है कि अब चीन को कोई मौका नहीं दिया जाएगा। भारत का स्टैंड स्पष्ट है- चीन को अप्रैल 2020 के पॉजिशन पर लौटना ही होगा।

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