नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा संपत्ति सील करने से मचे हड़कंप

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा संपत्ति सील करने से मचे हड़कंप के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की है। इसमें शीर्ष अदालत से मॉनीटरिंग कमेटी से मुक्ति दिलाने व स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को संपत्ति सील करने डी-सील करने का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। अर्जी में यह भी कहा गया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट चाहेगा, एसटीएफ उसकी निगरानी में काम करेगी। केंद्र सरकार ने यह अर्जी सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों में बदलाव करने की मांग को लेकर दायर की है। हालांकि, इस अर्जी पर अभी सुनवाई नहीं हुई है।

दिल्ली में मास्टर प्लान 2021 को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मॉनीटरिंग कमेटी का गठन किया था। कमेटी का मुख्य कार्य ऐसी संपत्ति को सील करना है, जो रिहायशी होने के बावजूद व्यवसाय के लिए इस्तेमाल की जा रही है। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई का दायित्व एसटीएफ को दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट को जनता के पक्ष के बारे में विचार करते हुए मॉनीटरिंग कमेटी को उसके कार्यो से मुक्त कर देना चाहिए, क्योंकि अभी मॉनीटरिंग कमेटी और एसटीएफ एक ही कार्य मे लगे हैं।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मॉनीटरिंग कमेटी से मुक्ति दिलाने व स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को संपत्ति सील करने डी-सील करने का अधिकार दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्य अच्छा कार्य करते हुए उम्र के ऐसे पड़ाव पर आ गए हैं, जहां उन पर और अधिक बोझ डालना उचित नहीं है।

शहर का नियोजन एक ऐसा कार्य है, जो सरकार और इसके नुमाइंदों द्वारा किया जाना ठीक रहेगा। इसमें कुछ निजी विचारों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने अपील की गई है कि अपने पूर्व में दिए गए आदेशों में बदलाव करते हुए अब दिल्ली विकास अधिनियम के तहत बनी एसटीएफ को पूरी जिम्मेदारी दी जाए।

एसटीएफ ने किए हैं कई कार्य

सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी के साथ एक रिपोर्ट भी दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि एसटीएफ ने कई जगह से अवैध निर्माण हटाया है। कई सड़कों को अतिक्रमण मुक्त किया है। चूंकि एसटीएफ में सभी निगमों, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारी हैं, जो लोगों का पक्ष सुनते हैं। जबकि, मॉनीटरिंग कमेटी के साथ ऐसा नहीं है। मॉनीटरिंग कमेटी अगर किसी संपत्ति को सील कर देती है, तो संपत्ति के मालिक को अपने पक्ष में अपील करने के लिए एक लाख रुपये जमा कराने पड़ते हैं। कई ऐसे मसले विचाराधीन पड़े हैं, जिनमें पैसा नहीं होने की वजह से अपील नहीं की जा सकी है।

जिम और योग सेंटर सील करने के आदेश से मचा है हड़कंप

मॉनीटरिंग कमेटी ने हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली के तीनों नगर निगमों को पत्र लिखकर जिम व योग सेंटर को सील करने का आदेश दिया है। पिछले माह दिए गए आदेश के तहत मास्टर प्लान 2021 के अनुसार अगस्त 2008 के बाद बने जिम व योग सेंटर को नहीं चलाया जा सकता। इससे निगम के नेताओं की परेशानी बढ़ी है। इसको लेकर निगम के नेता जहां उपराज्यपाल अनिल बैजल से गुहार लगा रहे हैं। वहीं केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से भी मदद मांगी है।

 

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