चीनी जासूसी कांड: प्रधानमंत्री कार्यालय और अहम मंत्रालयों में हो रही थी सेंधमारी

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नई दिल्ली: भारत में चीन के जासूसी कांड की जांच अहम खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अलावा दलाई लामा और भारत में लगाए गए सुरक्षा उपकरण भी चीनी जासूसों के निशाने पर थे। पकड़े गए चीनी जासूसी नेटवर्क से हुई पूछताछ में सामने आया है कि भारतीय मंत्रालय में काम करने वाले उच्च अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स की जानकारी खंगाली जा रही थी।

चीनी जासूस क्विंग शी से पूछताछ में मालूम हुआ है कि चीन ने भारत में अपनी जासूसी टीम को पीएमओ समेत बड़े दफ्तरों की अंदरूनी जानकारी देने को कहा था। जैसे कि कार्यालय में कौन शख्स अहम है, कौन किस पद पर तैनात है और कितना प्रभावशाली है।

रैकेट में शामिल थी कोलकाता की महिला!

पूछताछ में चीन के इस जासूसी नेटवर्क में महाबोधी मंदिर के एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु और कोलकाता की एक प्रभावशाली महिला के शामिल होने की बात भी सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि क्विंग शी से इस महिला से मिलवाया गया था, जो उसे अहम दस्तावेज सौंपती थी और क्विंग उसे ट्रांसलेट करके चीन भेजती थी।

पत्रकार समेत तीन तिहाड़ में बंद

चीनी जासूस से पूछताछ में एजेसियों के हाथ कुछ दस्तावेज लगे हैं जिसके मुताबिक, पीएमओ में शामिल अधिकारी और दलाई लामा की हर गतिविधि की जानकारी ली जा रही थी। बता दें कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले महीने क्विंग शी के साथ उसके नेपाली साथी शेर बहादुर और भारतीय पत्रकार राजीव शर्मा को गिरफ्तार किया था। तीनों इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद हैं।

जासूस के मकान का किराया कौन देता था?

सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान यह भी पता चला कि चीनी जासूसी के बदले क्विंग को भारत में एक लाख रुपये दिए जाते थे। इस बात की जांच की जा रही है कि दक्षिण दिल्ली के जिस मकान में क्विंग रहती थी उसका 50 हजार रुपये किराया कौन देता था।

क्या है चीनी जासूसी कांड?

जासूसी नेटवर्क का खुलासा अगस्त महीने में चीनी नागरिक चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग की गिरफ्तारी से हुआ। इसके बाद से ही जांच एजेंसियां चीनी जासूसी नेटवर्क का पता लगाने में जुटी हुई हैं। दिल्ली में आईटी विभाग की रेड के दौरान चीनी जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था। तब भी यह सामने आया था कि चार्ली पेंग तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की जासूसी कर रहा था।

200 से ज्यादा चीनी ऐप्स बैन

पेंग पर आरोप है कि चीनी खुफिया एजेंसियों ने उसे तिब्बती शरणार्थियों पर नजर बनाए रखने के लिए कहा था। साथ ही दलाई लगामा की कोर टीम में घुसने की बात भी कही गई थी। इस दौरान सर्विलांस से बचने के लिए पेंग ने वी चैट का इस्तेमाल किया था। जुलाई महीने में ही भारत सरकार जासूसी के लिए इस्तेमाल होने वाली 200 से अधिक चीनी ऐप्स को बैन कर चुकी है।

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